शिवराज सिंह के जलसे में भोजन घोटाले की जांच शुरू

भोपाल। शिवराज सरकार की 11वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित जलसा का खर्चा 'गरीब कल्याण प्रशिक्षण कार्यक्रम' का नाम देकर सरकारी खजाने पर डाल दिया गया लेकिन इसमें भी घोटाला हो गया। 7 लाख लोगों को बुलाया गया। 4 लाख लोगों को भोजन कराया जाना था परंतु 2 लाख से भी कम भोजन के पैकेट वितरित किए गए। सबकुछ इतनी चतुराई से किया गया कि आडिट भी मुश्किल होगा परंतु हंगामा हो गया और अब जांच भी शुरू हो गई। 

जंबूरी मैदान में गरीब कल्याण प्रशिक्षण कार्यक्रम में गरीबों के खाने के पैकेट में हुई गड़बड़ी की शिकायत सीएम शिवराज तक पहुंचने के बाद इसकी जांच शुरू हो गई है। हितग्राही सम्मेलन के दौरान भोपाल जिले से आए 50 फीसदी लोगों को ही खाने के पैकेट मिल पाए थे। 50 फीसदी लोगों को दिनभर की थकान के बाद भूखा लौटना पड़ा था।

सीएम के निर्देश पर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने बुधवार को गोपनीय रूप से इसकी जांच शुरू कर दी है। कलेक्टर ने इस संबंध में खाद्य नियंत्रक ज्योति शाह नरवरिया से भी पूछताछ की और गड़बड़ी सामने आने पर जमकर फटकार भी लगाई। कलेक्टर ने खाद्य नियंत्रक से जल्द से जल्द इस मामले में रिपोर्ट मांगी है।

प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि खाने के पैकेट तैयार करने का टेंडर हॉस्पेटिलिटी ऐंसियल दानापानी को दिया गया था, बैरसिया और फंदा से आए किसानों के लिए खाने के 45 हजार पैकेट तैयार करने का आर्डर दिया गया था, लेकिन यहां से सिर्फ 17 हजार 500 खाने के पैकेट ही भेजे गए। एक ही फर्म को बड़ा टारगेट देने के कारण यह परेशानी खड़ी हुई।

विधायक-जिपं अध्यक्ष के घेराव से खुली पोल
ग्रामीण क्षेत्रों से आए गरीब किसानों को जब खाना नहीं मिला तो उन्होंने विधायक विष्णु खत्री और जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर से इसकी शिकायत की। विधायक ने कृषि व उद्यानिकी को खाने के पैकेट बांटने को कहा लेकिन फिर भी खाना नहीं मिला तो किसानों ने विधायक व अध्यक्ष का घेराव कर लिया। इसके बाद खत्री और नागर ने पूरे मामले की शिकायत सीधे सीएम से कर दी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर से बात की और पूछा कि खाने के कितने पैकेट बनवाए थे? ये गड़बड़ी आखिर कैसे हुई?

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