
आयोजन समरोह में जिले की सात ब्लॉकों से हितग्राहियों को बुलाया गया था। सभी को यहां पर पट्टे वितरित किए जाने थे। प्रत्येक ब्लॉक से हितग्राही यहां पहुंचे थे। प्रत्येक जनपद सीईओ को हितग्राहियों को लाने, खाने व वापस ले जाने का जिम्मा सौंपा गया था। उधर सीईओ ने प्रत्येक पंचायत सरपंच व सचिव को ये जवाबदारी सौंप दी।
सरपंचों ने ये भी नहीं सोचा कि जिसे वह ले जा रहे हैं वह स्वस्थ है कि नहीं। हद इस बात की है कि जिस बीमार हितग्राही को लेकर सरपंच, सचिव पहुंचे उसे बीमार हालत में ही भीड़ में छोड़ दिया। उसे खाने के लिए भी नहीं पूछा। हालांकि खाना न मिलने की शिकायत करने वाले अनेक हितग्राही यहां मिले और जिनका जिम्मा था वे एक-दूसरे के पाले में गेंद फेक रहे थे। इस पूरी लापरवाही की खबर न तो अतिथियों को थी और न ही कलेक्टर या अन्य प्रमुख अधिकारियों को।
बुखार है भैया, इसलिए लेट गया हूं
शिविर में मौजूद लोगों की भीड़ के बीच मैदान में एक व्यक्ति जमीन पर अपना गमछा बिछाकर लेटा था। पूछा तो कांपती जुबां से बोला, साहब बुखार है, बैठने की हिम्मत नहीं हो रही इसलिए लेट गया हूं। उसने बताया कि वह पटेरा ब्लॉक के सिकारपुरा गांव का निवासी है, उसका नाम लीलाधर अहिरवार है। गांव का सरपंच मूलचंद उसे यहां पट्टा दिलाने के लिए लाया था। अब न सरपंच का पता है न सचिव का। खोजबीन करने पर उस पंचायत का ग्राम रोजगार सहायक खिलान सिंह मिल गया। उसे पता था कि लीलाधर बीमार है। उसने कहा कि सरपंच सचिव लेकर आए थे, दोनों कहां है पता नहीं। उसने ये भी कहा कि लीलाधर को बुखार के कारण ठंड लग रही थी, इसलिए उसने ही उसे धूप में बैठने के लिए कहा था। जब उस रोजगार सहायक से कहा कि उसने बुजुर्ग का इलाज क्यों नहीं कराया तो उसने सरपंच, सचिव को जवाबदार बता दिया। आखिर में नईदुनिया ने मैदान में संचालित शिविर में मौजूद डॉक्टर से उसका चैकअप कराया और गोलियां दिलाईं। डॉक्टर ने उसे कुछ देर आराम करने की सलाह दी। इसके बाद बुजुर्ग वहीं बैठ गया। यहां रोजगार सहायक को भी रुकने के लिए कहा गया।
लाखों का बजट, खाना तक नहीं मिला
खबर है कि इस आयोजन पर खर्च करने के लिए करीब 19 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ है, लेकिन जिसतरह की व्यवस्थाएं की गईं उसे देखकर बिल्कुल भी नहीं लगा कि इतनी बड़ी राशि आयोजन में खर्च की गई होगी। आयोजन में शामिल हुए हितग्राही खाने के लिए भटकते रहे। किसी ने कहा कि सुबह खाना बांट दिया था, किसी ने कहा अभी बुलाकर बांटेंगे। पट्टे की लालच में पहुंचे गरीब यहां परेशान होते रहे और किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली।