भोपाल। मप्र में मेडिकल सीटों के वितरण में घोटाले लगातार सामने आ रहे हैं। तमाम कड़ी कार्रवाईयां और सुप्रीम कोर्ट तक के दखल के बावजूद खेल जारी है। पहले, नॉन-एलिजिबल स्टाफ द्वारा स्टूडेंट्स काे अलॉटमेंट लेटर जारी करने का खुलासा हुआ। अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सीटों से ज्यादा स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का मामला सामने आ रहा है। बता दें कि एक कॉलेज में 150 के बजाय 176 स्टूडेंट्स को एडमिशन दे दिया गया।
इंदौर, देवास और उज्जैन के इन तीन कॉलेजों में 450 सीटें 479 स्टूडेंट्स को अलॉट कर दी गईं। ऑफलाइन काउंसिलिंग के दौरान अपग्रेडेशन प्रोसेस में सीटों के असेसमेंट में गलती के कारण यह मुसीबत खड़ी हो गई है। अब एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन सहित काउंसिलिंग कमिटी के मेम्बर्स को शनिवार को भोपाल तलब किया गया है। चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री इसके लिए निजी कॉलेजों को दोषी बता रहे हैं, जबकि कॉलेजों का कहना है कि काउंसिलिंग, सीट अलॉटमेंट की सारी प्रोसेस सरकार ही कर रही थी। इसमें उनका कोई लेना-देना नहीं है।
150 के बजाय 176 स्टूडेंट्स को एडमिशन
इंदौर के इंडेक्स, देवास के अमलतास और उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में से प्रत्येक में एमबीबीएस की 150 सीटें हैं। अमलतास कॉलेज इसी साल शुरू हुआ है। वहां 150 के बजाय 176 छात्रों को एडमिशन दे दिया गया। इंडेक्स और आरडी गार्डी कॉलेज में भी ऐसा ही हुआ। ऑनलाइन काउंसिलिंग के बाद स्टूडेंट्स ने कॉलेज अपग्रेडेशन के ऑप्शन चुने थे। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से भी काउंसिलिंग के लिए एक टीम को भोपाल भेजा था। बाद में ऑफलाइन काउंसिलिंग के दौरान खाली सीटों के आकलन में गलती हुई जिसके कारण 150 से ज्यादा स्टूडेंट्स को एडमिशन मिल गए।
इस गड़बड़ी के लिए निजी कॉलेज हैं जिम्मेदार
चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री शरद जैन ने सफाई देते हुए कहा कि गड़बड़ी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की वजह से हुई। उन्होंने हमें खाली सीटों की गलत जानकारी दी थी। हम इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे।