क्या राजभवन से बाहर निकलते ही रामनरेश को गिरफ्तार किया जाएगा

भोपाल। मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव 7 सितम्बर को अपना कार्यकाल समाप्त कर राजभवन से बाहर आने वाले हैं और इसी के साथ उनके वो तमाम विशेष अधिकार भी समाप्त हो जाएंगे जो राज्यपाल रहते उन्हें मिले हुए थे। व्यापमं मामले में हुई एक जांच में वो दोषी पाए गए हैं। सवाल यह है कि जब रामनरेश यादव राज्यपाल नहीं रहेंगे, तब क्या व्यापमं की उस जांच के आधार पर एफआईआर दर्ज होगी, क्या उन्हे गिरफ्तार किया जाएगा। 

भोपाल: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित करोड़ो रुपये के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में कथित रुप से नाम आने पर अंतत: विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने आज राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली.

बता दें कि व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान एसडीएफ ने पाया था कि राज्यपाल रामनरेश यादव ने वन रक्षक परीक्षा में पांच उम्मीदवारों की व्यापमं अधिकारियों से सिफारिश की थी। इसके चलते हाईकोर्ट की अनुमति के बाद उनके खिलाफभारतीय दंड संहिता की धारा 420 एवं भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस एफआईआर को राज्यपाल की ओर से चुनौती दी गई। मई 2015 में संविधान की धारा 361(दो) व (तीन) के कारण उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी गई थी। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति या राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। 

7 सितम्बर 2016 उनके कार्यकाल का अंतिम दिन है। 8 सितम्बर 2016 को रामनरेश यादव राज्यपाल नहीं होंगे। जांच में दोष प्रमाणित पाया गया है। अत: रामनरेश यादव भ्रष्टाचार के आरोपी हैं। अब जबकि रामनरेश यादव राज्यपाल नहीं रहेंगे, तब क्या उनके खिलाफ मामला दर्ज होगा, उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। इस मामले को टालने के लिए अब कोई तर्क नहीं है। संविधान में ऐसी कोई धारा नहीं है जो राष्ट्रपति या राज्यपाल को अपने पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार या अपराध करने की अनुमति देती हो। कहते हैं, कानून सबके लिए समान है। देखते हैं, इस मामले में कानून क्या करता है। 

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