
23 साल बाद जारी हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में पीएचडी और आयुसीमा को लेकर विवाद और विरोध जारी है। 2009 के पहले के पीएचडी उपाधि धारकों के लिए नेट या स्लेट पास होना भी जरूरी कर दिया गया है। इस नियम के चलते पहले से पीएचडी कर चुके कई ऐसे उम्मीदवार जो सरकारी कॉलेजों में संविदा आधार पर पढ़ा रहे हैं वे भी नियुक्ति के अयोग्य हो गए हैं। दूसरी ओर शासन ने स्लेट भी आयोजित नहीं की। इससे उम्मीदवारों के पास योग्यता हासिल करने का मौका भी नहीं है। उम्मीदवारों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव इकबाल बैस और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आशीष उपाध्याय को ज्ञापन सौंप परीक्षा प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है।
प्रदेश के उम्मीदवारों को हो रहा नुकसान
प्रमुख सचिव उच्चशिक्षा के पास पहुंचे उम्मीदवारों ने शिकायत की है कि मनमाने नियमों के कारण असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की परीक्षा से खासतौर पर मप्र के उम्मीदवारों का ही नुकसान हो रहा है। 10 वर्ष से ज्यादा समय हो गया लेकिन उच्चशिक्षा विभाग ने स्लेट आयोजित नहीं करवाई। आरोप लग रहे हैं कि अन्य प्रदेशों से आकर उच्चशिक्षा विभाग में पदस्थ हुए अधिकारी ही जानबूझकर अधूरे नियमों से प्रोफेसर भर्ती कर रहे हैं। पीएससी को यूजीसी ने सेट आयोजित करवाने के अधिकार दे दिए हैं। सेट होने पर उम्मीदवारों को मौका मिल सकता है लेकिन उसके लिए परीक्षा स्थगित होना जरूरी है।