
आलीराजपुर के भाबरा में 9 अगस्त को पीएम की सभा के लिए कार्यकर्ताओं को पहुंचाने के लिए प्रशासन ने स्कूली बसें अधिग्रहित की थीं। साथ ही स्कूलों में छुट्टी की घोषणा भी कर दी थी। सीनियर एडवोकेट आनंदमोहन माथुर के मौखिक तर्कों के बाद कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेकर शासन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। सुनवाई में प्रमुख सचिव से भी इस मामले में जवाब मांगा गया है। कोर्ट ने याचिका में यूनिवर्सिटी को भी पक्षकार बनाया है। स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी और बसों के अधिग्रहण के कारण यूनिवर्सिटी को परीक्षाएं आगे बढ़ाना पड़ी थीं। इससे हजारों छात्रों का नुकसान हुआ।
इंटरविनर बनने का आवेदन स्वीकारा
गैर अनुदान प्राप्त सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन ने एक आवेदन देकर याचिका में इंटरविनर बनाने की गुहार लगाई। कोर्ट ने इसे स्वीकार लिया। कुछ माह पहले सीहोर में हुई प्रधानमंत्री की सभा के लिए भी निजी स्कूल की बसें अधिग्रहित की गई थीं। एसोसिएशन ने प्रशासन के इस कदम को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्कूलों की लिखित सहमति के बगैर शासन बसें अधिग्रहित नहीं कर सकता। एसोसिएशन के वकील गौरव छाबड़ा ने बताया कि इस आदेश के बावजूद भाबरा सभा के लिए बगैर लिखित सहमति बसें ली गईं।
पीएमओ से निर्देश के बावजूद नहीं की कार्रवाई
एडवोकेट मनीष विजयवर्गीय ने भी इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की है। बुधवार को इस पर भी स्वतः संज्ञान याचिका के साथ सुनवाई हुई। इसमें कहा गया कि सीहोर सभा के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि भविष्य में ऐसा नहीं हो, इसके लिए व्यवस्था की जाए। इसके बावजूद बसों का अधिग्रहण किया गया।