भोपाल। 1974 में मलेरिया विभाग को 147 कर्मचारियों और अधिकारियों का स्टॉफ मिला था, उस वक्त भोपाल शहर की आबादी महज पांच लाख के आसपास थी। अब स्थिति बदल गई है। यहां मलेरिया विभाग में पड़े रिक्त पदों को भरने के बजाय यहां धीरे-धीरे स्टॉफ कम होता जा रहा है। स्थिति यह हो गई है कि इस साल 2015 में भोपाल शहर की आबादी 25 लाख तक पहुंच पहुंच रही है और विभाग के पास अब महज 97 कर्मचारियों का दल बचा हुआ है। वहीं विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक आगामी 3 सालों के भीतर शेष 42 कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे, जिससे मलेरिया विभाग के पास 55 कर्मचारियों का स्टॉफ रह जाएगा, जिनके ऊपर भोपाल शहर में फैल रहे मच्छरों पर नियंत्रण करने की जिम्मेदारी होगी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में मलेरिया विभाग की स्थिति क्या होगी।
संविदाकर्मियों से चल रहा लार्वा सर्वे
इन दिनों डेंगू की रोकथाम के लिए मलेरिया विभाग के अफसरों द्वारा संविदा कर्मियों से लार्वा सर्वे का काम करवाया जा रहा है। इन कर्मचारियों के साथ मिलकर विभाग द्वारा हर रोज 28 टीमें बनाई जाती है जो शहर के अलग-अलग स्थानों पर जाकर लार्वा सर्वे, फॉगिंग और लार्वा विनिष्टीकरण का काम करती है।
स्वीकृत पदों पर भी विचार नहीं
मलेरिया विभाग के पास डेढ़ सौ पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 62 पद आज भी रिक्त पड़े हुए हैं। इनमें सहायक मलेरिया अधिकारी का 1, मलेरिया इंस्पेक्टर के 4, सर्विलेंस कार्यकर्ता और सुपरवाइजर के 1, कीट संग्रहक 3, स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 14, एंटी लार्वा (अर्बन) और इंसेक्ट कलेक्टर के 3, सुपरवाइजर फिल्म वर्कर 7 और फिल्ड वर्कर के 34 पद खाली पड़े हुए हैं।
3 साल में 42 कर्मचारी होंगे रिटायर
आने वाले 3 सालों के भीतर मलेरिया विभाग से तकरीबन 42 अधिकारी रिटायर हो जाएंगे। ये सिलसिला इस माह के अंत से शुरू हो जाएगा। अक्टूबर से लेकर दिसम्बर के बीच 3 कर्मचारी विभाग से चले जाएंगे।
इसके अलावा 2016 में 14, 2017 में 11 और 2018 में 11 कर्मचारियों का सेवानिवृत्त दे दी जाएगी। इसके बाद 2019 में भी 3 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके होंगे।