भोपाल। अब जब पर्चियों पर नियुक्तियों के राज खुलने का सिलसिला चल निकला है तो दिग्विजय सिंह के बाद शिवराज सिंह चौहान की पर्चियां भी सामने आ गईं। जिस तरह दिग्विजय सिंह की नोटशीट पर अयोग्य व्यक्ति को नियुक्ति मिली इसी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर पर्ची जारी कर माखनलाल यूनिवर्सिटी में मनमानी नियुक्तियां कराईं। बता दें कि इस तरह की नियुक्तियों का अधिकार केवल राज्यपाल के पास आरक्षित होता है।
ताजा मामला भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का है। मुख्यमंत्री की लिखी पर्चियां (नोटशीट्स) जनसंपर्क विभाग के सचिव के जरिए कुलपति (वाइस चांसलर) तक पहुंची और उन्होंने नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा लिखी पर्चियों में लिखा गया है- "संबंधित व्यक्ति की नियुक्ति तय समय-सीमा के लिए संविदा आधार पर वरिष्ठ प्राध्यापक के पद पर कर दी जाए।" मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करते हुए कुलपति बीके कुठियाला ने संबंधित व्यक्तियों की नियुक्ति के आदेश दे दिए। पर्चियों पर ये नियुक्तियां अक्टूबर, 2010 में की गईं।
सूचनाधिकार कार्यकर्ता पूर्णेंदु शुक्ल ने इन आदेशों की प्रतियों के आधार पर कहा, "इन आदेशों से पता चलता है कि वरिष्ठ प्राध्यापक के पद पर नियुक्तियों के लिए कौन सा तरीका अपनाया गया।"
शुक्ल ने आगे कहा कि पर्चियों पर नियुक्ति संबंधी जानकारी विभिन्न लोगों ने सूचनाधिकार के तहत आरटीआई दायर कर हासिल की है। उन्होंने नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये नियुक्तियां कितनी जल्दबाजी में हुई हैं, इसका पता इस बात से ही चल जाता है कि मुख्यमंत्री द्वारा पर्ची लिखे जाने से लेकर नियुक्ति के आदेश जारी होने तक की प्रक्रिया 'एक ही दिन में' पूरी कर ली गई।
जानकार सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय की महापरिषद (सीनेट) का अध्यक्ष मुख्यमंत्री ही होता है, मगर वह किसी की नियुक्ति नहीं कर सकता। वह सिर्फ महापरिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है। विश्वविद्यालयों में नियुक्ति का अधिकार तो कुलाधिपति (चांसलर) यानी राज्यपाल के पास होता है।