भोपाल। भले ही पूरी दुनिया में व्यापमं घोटाले का शोरशराबा हो, आरोपी जेल में हैं, जमानतें नहीं मिल रहीं। सीएम की कुर्सी खतरे में है, लेकिन मप्र में व्यापमं घोटाला अब भी जारी है। आरोप है कि इस बार का डीमेट 1 हजार करोड़ में बेच दिया गया है। सबकुछ फिक्स हो गया है। मेडिकल सीटें बेचने का काम प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने किया है। यह आरोप व्हिसल ब्लोअर्स लगा रहे हैं।
दावा किया गया है कि इसी वजह से एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेज (एपीडीएमसी) बार-बार परीक्षा का कार्यक्रम बदल रही है। इधर, कुछ कॉलेजों में एनआरआई कोटे की 15 फीसदी सीटें खाली बची हैं, जिनकी बुकिंग के लिए कॉलेजों के एजेंट्स के उम्मीदवारों को एसएमएस कर रहे हैं।
नागपुर में हुई थी प्राइवेट कॉलेज संचालकों की मीटिंग
इसके चलते एपीडीएमसी की डीमेट दिखावे की प्रवेश परीक्षा बनकर रह गई है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों ने बताया कि निजी मेडिकल कॉलेजों की मैनेजमेंट कमेटी की एक बैठक हाल ही में नागपुर में हुई है। इस बैठक में भोपाल के एलएन, चिरायु, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज सहित अन्य कॉलेजों के डायरेक्टर शामिल हुए थे। यहां कॉलेज संचालकों ने सीट बुक कराने वाले छात्रों की सूची एक दूसरे को सौंप दी है।
30 से 50 लाख के बीच बिक्री एक सीट
आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय ने बताया कि निजी मेडिकल कॉलेजों के संचालकों ने मैनेजमेंट कोटे की सभी 380 सीटों की बुकिंग कर ली है। इसके लिए छात्रों से 30 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक लिए गए हैं। डीमेट के जरिए इन्हीं लोगों को प्रवेश दिए जाएंगे। काॅलेज संचालकों ने मैनेजमेंट कोटे के तहत आरक्षित सीटों को बेचकर 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार कर लिया है।
NRI सीटों की बुकिंग जारी
कॉलेज संचालकों ने एनआरआई कोटे की सीटों को भी मैनेजमेंट से भरना शुरू कर दिया है। इन सीटों के लिए खरीदार खोजने का काम उनके एजेंट्स कर रहे हैं। इसके लिए एलएन, चिरायु, पीपुल्स, अरविंदो सहित सभी कॉलेजों में लोग एडमिशन के संबंध में पूछताछ कर रहे हैं।
सरकारी कोटे की सीटें भी बिक गईं
डॉ. आनंद राय ने बताया कि कुछ कॉलेज संचालकों ने सरकारी कोटे की सीटों की भी बुकिंग कर ली है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अगर सरकारी कोटे की सीट पाने वाले छात्रों के एडमिशन जल्दी नहीं कराए, तो इन सीटों पर भी मैनेजमेंट कोटे से छात्रों के दाखिले होंगे।
हम खंडन करते हैं
प्रदेश के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एनआरआई कोटे की 15 फीसदी सीटों को छोड़कर शेष सीटों में से 50 फीसदी मैनेजमेंट कोटे से भरी जाएंगी। इन सीटों पर दाखिले के लिए डीमेट कराई जा रही है। इस कारण मैनेजमेंट कोटे की सीटें बिकने की बात कहना सिरे से गलत है। यह एकदम तथ्यहीन आरोप है। इससे छात्र गुमराह होंगे।
डॉ. अजय गोयनका,
सदस्य, एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेज