उपदेश अवस्थी/भोपाल। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा परिवहन विभाग इन दिनों बस मालिकों को नियमों का पाठ पढ़ा रहा है। इसी क्रम में शिवपुरी में हुए एक घटनाक्रम ने परिवहन विभाग की कलई खोलकर रख दी। बस मालिकों ने भरी मीटिंग में आरटीओ आफिस की रिश्वतखोरी की रेटलिस्ट ओपन कर दी। खुलकर कहा कि 300 रुपए की फिटनेस के लिए 3000 वसूलते हो, इमरजेंसी गेट पर सीट नहीं लगाएंगे तो इतना पैसा कहां से चुकाएंगे। हर बस वाला नियमित रूप से महीना भेजता है, ओवरलोडिंग नहीं करेंगे तो महीना कैसे भेजेंगे। इस मीटिंग में यहां तक कहा गया कि यह पैसा बाबू से लेकर मुख्यमंत्री तक बंटता है, हमें सब पता है।
बता दें कि पन्ना हादसे के बाद जनता के बीच संवेदनशील बातें करते हुए खटारा बसों के खिलाफ अभियान का वादा किया गया था। दिखाने के लिए कार्रवाईयां भी शुरू की गईं परंतु बस आॅपरेटर्स आरटीओ की इस कार्रवाई से बौखला गए। शिवपुरी में आरटीओ ने बस मालिकों को नियम समझाने के लिए एक मीटिंग बुलाई, लेकिन बस आॅपरेटर नहीं पहुंचे। तमतमाए आरटीओ खुद बस स्टेण्ड जा पहुंचे और सिंघम की तरह दहाड़ने लगे। बदले में बस आॅपरेटर्स ने भी गालियों की बौछार कर डाली। भागे भागे आरटीओ कलेक्टर के पास गए और फिर कोतवाली भी, लेकिन बाद में अपने घर लौट गए।
आज उनके आफिस में सारे बस आपरेटर्स जा धमके। मीटिंग शुरू हुई तो आॅपरेटर्स ने आरटीओ के मुंह पर ही उनकी कलई खोलकर रख दी।
बताया गया है इस बैठक में आरटीओ शिवपुरी विक्रम सिंहजीत कंग ने बस ऑपरेटरो से कहा कि आपको यात्रियो की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, बस में दोनो ओर गेट बनवाने होंगे और समय से सभी कागजात कम्पीलीट करवाने होगें नही तो आपकी बसों को सडको पर नही चलने देगें।
इतना सुनता ही बस मालिक भडक गए बस मालिकों ने आरटीओ के सामने ही कहा कि इस कार्यालय की व्यवस्था पहले सुधारी जाए यहां जो भ्रष्टाचार एक्सप्रेस चल रही है उसे रोका जाए, बस मालिकों ने आरटीओ के सामने ही आरटीओ कार्यालय के एक बाबू जो उस समय मीटिंग मे ही मौजूद था उसके बारे में कहा बसों की फिटनिसो की सरकारी रेट तीन सौ से पॉच सौ रूपए है परन्तु आपका ये बाबू बस के फिटनिस बनाने के लिए 3 हजार रूपए लेता है।
इतना ही सुनते कहते ही वहां सन्नाटा खिंच गया सब की सब बाबू की ओर देखने लगे तो बाबू ने कहा में क्या पूरे लेता हूं साहब भी लेते है। इतना ही नही बस ऑपरेटरो ने आरटीओ से कहा साहब आप पिछले 7 दिनो से कार्यालय में नही बैठे सभी फाईले घर पर होती है। हमे यहां आपसे काम होता है तो चक्कर लगाने पडते है, हमारा कोई भी काम बिना रिश्वत के नही होता है। यहां कामो की रिश्वत की रेटलिस्ट है।
इन आरोपो के कोई जबाव आरटीओ विक्रम सिंह कगं बस मालिकों को नही दे पाए, बस मालिकों ने कहा कि विभाग ने 1-1 लाख रूपए लेकर हर पॉच-पॉच में मिनिट में परमिट जारी कर दिए है।
कुल मिलाकर बस आॅपरेटर्स आरटीओ को आइना दिखाकर लौट गए। कमोबेश यही हालत पूरे मध्यप्रदेश के हैं। पन्ना जैसे हादसों का जिम्मेदार बस आॅपरेटर या ड्रायवर नहीं है बल्कि परिवहन विभाग है जो रिश्वतखोरी में आकंठ डूबा हुआ है। यहां ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर बस परमिट तक सबके रेट तय हैं, पैसे चुकाओ और परमिशन ले जाओ। ऐसे में आप क्या उम्मीद करेंगे कि अच्छे ड्रायवर सड़कों पर बस चलाएंगे और अच्छी बसें कभी चल पाएंगी।