विदिशा में स्वास्थ्य घोटाले का बीजारोपण: क्लास 2 अफसर को मिला फ्रीहेण्ड

विदिशा। स्वास्थ्य महकमे के मामले में जो कुछ कहा जाए, वह कम है। क्लास टू अधिकारी को क्लास वन वाले जिम्मे से नवाजा गया है। प्रभारी व्यवस्था के बाद उन्हें पूर्ण रूपेण जिम्मेदारी देना समझ के बाहर है और उस पर अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। स्वास्थ्य महकमे में जिला टीकाकरण अधिकारी इस पद के लिए अपात्र है।

स्वास्थ्य विभाग को राष्ट्रीय कार्यक्रम में शुमार टीकाकरण को अति अहम दर्जा दिया गया है। जिसमें गर्भवती महिलाओं से लेकर नवजात शिशु और बालकों को टीके लगाए जाते हैं। विभिन्न बीमारियों से निजात दिलाने के लिए टीकाकरण सबसे जरूरी शस्त्र माना जाता है। यही वजह है कि टीकाकरण प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण भाग है। साथ ही साथ इस जिम्मेदारी को भी विशिष्ठ व्यक्तियों या पात्र अधिकारियों को ही दिया जाना चाहिए। वर्तमान में जिला टीकाकरण अधिकारी के रूप में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. निर्मला तिवारी पदस्थ हैं। जो एमबीबीएस डाक्टर होने के साथ क्लास टू के दायरे में आती हैं। तकरीबन दो से ढ़ाई साल पूर्व उन्हें स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल के हस्ताक्षर से जिला मलेरिया अधिकारी का भी प्रभार दिया गया था।

जानकार बताते हैं कि टीकाकरण जैसा महत्वपूर्ण पद पोस्ट ग्रेज्युट स्तर के डाक्टर और टीकाकरण के साथ-साथ शिशुओं के रोग संबंधी विशेषज्ञ व्यक्ति को ही दिया जा सकता है। इन सबके बावजूद जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। पूर्व सीएमएचओ सुधीर जेशानी और वर्तमान सीएमएचओ डाक्टर प्रमोद चतुर्वेदी ने तात्कालीक तौर पर की गई व्यवस्था को दुरूस्त करने के बजाच चलने दिया।

जानकार यह भी बताते हैं कि विशेषज्ञ और पात्र व्यक्ति के न होने के कारण जिले में टीकाकरण मात्र 65 फीसदी हो रहा है। 35 फीसदी टीकाकरण अभी भी बाकी है। जबकि प्रदेश और राष्ट्र स्तर पर टीकाकरण को अहम प्रोग्राम में शामिल किया गया है और इसके लिए करोड़ों रूपए खर्च किए जाते रहे हैं। नियमानुसार जिस भी अधिकारी की नियुक्ति भोपाल या उच्च स्तरीय कार्यालय से होती है, उनकी बदली भी उच्च स्तर से ही की जा सकती है। इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क न होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका है।

जिले में पिछड़ा है टीकाकरण
इंद्रधनुष योजना देशभर में सात अप्रैल से लागू हो रहा है। प्रदेश में इस योजना का अगाज विदिशा से हो रहा हैं। इंद्रधनुष के जरिए शिशुओं में बीमारियों से लडऩे के लिए तमाम तरह के टीके लगाए जाने की योजना शुरू तो हो रही है। लेकिन यह विडंबना ही कही जाएगी कि योजना का शुभारंभ जिस जिले से हो रहा है, वहां टीकाकरण कार्यक्रम अब तक का कमजोर कार्यक्रम कहा जा सकता है। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर जिले की टीकाकरण उपलब्धी बहुत पिछड़ी हुई है। एक अनुमान के मुताबिक जिला प्रदेश में 25 से 30 नंबर के बीच में है। उसके पीछे वर्तमान जिला टीकाकरण अधिकारी और वर्तमान स्वास्थ्य के जिला प्रमुख को जिम्मेदार माना जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर की योजना का आगाज विदिशा से करने के पीछे यह भी माना जा रहा है कि यहां टीकाकरण को बढ़ावा दिया जा सके। बहुत संभव है कि पिछडऩे के कारण बन रहे व्यक्तियों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही भी इस दिन हो जाए।


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