अटक गया SAS to IAS प्रमोशन का मामला

भोपाल। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्न्त करने का मामला केन्द्र में अटक गया है। दरअसल चार राप्रसे अधिकारी अरूण तोमर, नागेन्द्र प्रसाद मिश्रा, धर्मेंद्र सिंह ओर सभाजीत यादव द्वारा हाईकोर्ट में प्रकरण दायर करने से यह स्थिति बनी है।

इनमें से एक अधिकारी अरूण तोमर 9 जनवरी को आईएएस बन गए हैं। शेष तीन अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच लंबित होने से मामला अटका हुआ है। इसके चलते डीओपीटी ने वर्ष 2012, 2013 और 2014 की डीपीसी भी रोक दी है।

राज्य सरकार ने 2010 और 11 में चारों का आईएएस के लिए चयन किया था, लेकिन इनके खिलाफ विभागीय जांच लंबित होने के कारण इन्हें आईएएस नहीं बनाया गया। इस पर यह सभी अफसर हाईकोर्ट चले गए। जिस पर कोर्ट ने इनकी जांच समाप्त होने तक चयन सूची की वैधता प्रभावशील रखने के आदेश दिए।

केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) मंत्रालय के नियमों के अनुसार राप्रसे से आईएएस में पदोन्न्ति 1 जनवरी से 31 दिसंबर की स्थिति में की जाती है। उक्त तिथि के बाद बैक डेट से किसी को आईएएस में पदोन्न्त नहीं किया जाता। हाईकोर्ट के आदेश के चलते उक्त सूची क्लोज नहीं हो पा रही है।

राज्य का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में
राज्य सरकार ने डीओपीटी को प्रस्ताव भेजकर कहा है कि हाईकोर्ट में लंबित 3 राप्रसे अधिकारियों के लिए पद रिक्त छोड़कर 2012 से 2014 तक के पदों के लिए डीपीसी कर दी जाए। लेकिन इससे डीओपीटी सहमत नहीं है। उसका कहना है कि पहले हाईकोर्ट के प्रकरण का निराकरण हो जाए। उसके बाद ही आगे के वर्षों में राप्रसे अफसरों को आईएएस बनाने की कवायद की जाएगी।

फिर मिलेगा IAS बनने का अवसर
हाल ही में केन्द्र ने राप्रसे अफसर को आईएएस में पदोन्न्त करने की आयु सीमा 54 से बढ़ाकर 56 कर दी है। ऐसे में 54 की उम्र पार कर चुके प्रदेश के चार अफसरों को एक बार फिर आईएएस में पदोन्न्त होने का अवसर मिल सकता है। इनमें शेर सिंह बघेल, रमेश भंडारी, शशि खत्री और जेएस भट्ट के नाम शामिल हैं।

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