चाइना के गंजों की खोपड़ी में ट्रांसप्लांट होते हैं मप्र के झड़े हुए बाल

भोपाल। भले ही बहुत सारी चीजों के मामले में चाइना हमसे आगे हो, भले ही बहुत सारी वस्तुओं के लिए हम चाइना पर डिपेंड होते जा रहे हों परंतु यदि सिर में उगे बालों की बात करें तो चाइना हम पर डिपेंड करता है। मप्र से 100 करोड़ रुपए मूल्य के बाल प्रतिवर्ष चाइना भेजे जाते हैं जहां वे गंजे लोगों के सिर में ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। मप्र के गांव गांव से इस तरह के बाल जमा किए जा रहे हैं।

पढ़िए जबलपुर की पत्रकार अनुकृति श्रीवास्तव की यह रिपोर्ट
सिर पर लहराते बाल लाख के तो झड़े बाल करोड़ों के... इनकी कीमत समझ चुके फेरीवाले गांव-गांव, घर-घर जाकर बालों को इकट्ठा कर रहे हैं। इन बालों की मांग कोलकाता और चेन्नई में बहुत अधिक है। वहां इनका ट्रीटमेंट कर इन्हें चीन भेजा जा रहा है। व्यापारियों के अनुसार पूरे देश में पैर पसार चुका झड़े बालों का व्यापार तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये तक का हो चुका है, जबकि मध्यप्रदेश में करीब 100 करोड़ रुपये के बाल हर साल बिक रहे हैं। बस शर्त यह है कि बाल कटे हुए नहीं, बल्कि कंघी से झड़े हुए हों और इनकी लंबाई 8 इंच से कम न हो। सबसे बेकार सामग्री माने जाने वाले बाल न सिर्फ व्यापार का जरिया बन गए हैं, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

800 से 2000 रुपये प्रति किलो कीमत
कोलकाता में एक किलो बाल की कीमत 800 से 1200 रुपये तक है। होली से पहले दो हजार रुपये तक भी भाव पहुंच जाता है, क्योंकि कलरफुल विग की डिमांड बढ़ जाती है। यहां सैलून में कटे हुए बालों की बिक्री के साथ-साथ कंघी से झड़े हुए बालों की बिक्री का फीसद पिछले पांच सालों में काफी बढ़ा है।

झड़े बालों की मांग इसलिए
कभी बालों के कारोबारी रहे नीचम निवासी नमन जैन बताते हैं कि कंघी से झड़े बालों को ट्रांसप्लांट करना और इससे विग बनाना आसान होता है। इसीलिए इन बालों का कारोबार शुरू हुआ। इन झड़े बालों को साफ करके एक तरह के कैमिकल में रखा जाता है। फिर इसे सीधा कर उपयोग में लाया जाता है।

यहां भी मोदी, शिवराज से आगे
कोलकाता की एरिनराइस इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के व्यापारी मिलॉन बताते हैं कि मध्यप्रदेश से अभी 5 से 6 फीसद बाल ही आ रहे हैं। यहां के बालों की क्वालिटी भी उतनी बेहतर नहीं है। ये रुखे और कमजोर होते हैं। बाजार में गुजरात के बालों की मांग सबसे अधिक है। वहां के बाल मजबूत और चमकदार होते हैं।

220 करोड़ का कारोबार सिर्फ तिरुपति मंदिर से
पिछले वर्ष तिरुपति मंदिर से ही 220 करोड़ के बालों की बिक्री हुई। जानकार बताते हैं कि महिलाओं के सबसे अधिक बाल यहीं से आते हैं।

साल में कुछ महीनों का सीजन
बालों के व्यापार का सबसे बढिय़ा सीजन क्रिसमस के बाद शुरू होता है जो अप्रैल-मई तक चलता है। होली व शादियों के मौसम में कारोबार जमकर चलता है। बारिश में बालों का व्यवसाय बंद रहने के बाद एक बार फिर अक्टूबर यानी दिवाली के समय शुरू हो जाता है।

छोटे स्तर पर ऐसे होती है शुरुआत
जबलपुर शहर के सिहोरा, मंडला, डिंडोरी और शहडोल के आसपास के इलाकों में फेरी वाले कंघी से झड़े हुए बालों को खरीदते हैं। इसे वे स्थानीय स्तर पर ही बड़े व्यापारियों को बेचते हैं। ये व्यापारी फिर कोलकाता, चेन्नई और आंध्रप्रदेश में इन्हें बेच आते हैं। कोलकाता के व्यापारी मोहम्मद हसन उज्जमस बताते हैं, उनके पास मध्यप्रदेश के अलावा बिहार और राजस्थान से बाल आते हैं। कोलकाता से 90 फीसद बाल चीन भेजा जाता है। कुदवारी निवासी रोशनीबाई बताती हैं कि फेरी वाले को बाल देने पर वे पिन, आलपिन, फुग्गा-टॉफी आदि दे जाते हैं।

विदेशी व्यापारियों की आवक से बढ़ता बाजार
मध्यप्रदेश में विदेशी व्यापारियों का आना कम है। इसलिए यहां पर बालों का व्यापार उतना नहीं हो पाता। कोलकाता, चेन्नई, आंध्रप्रदेश विदेशी व्यापारियों का गढ़ है। गुजरात के बालों की सप्लाई विदेशों में सबसे ज्यादा होती है। बाल व्यापार में सबसे ज्यादा सक्रिय बंगाल के मुस्लिम परिवार हैं।

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