ढाका। आमरा शोकाहोतो, किंतु आमरा अपराजितो (हम शोकित हैं, लेकिन अपराजित हैं)। ये चंद शब्द शुक्रवार शाम को www.mukto-mona.com के होमपेज पर स्याह पृष्ठभूमि के सामने लिखे गए थे। इन शब्दों में जैसे सारी बात कह दी गई थी।
इस मशहूर ब्लॉक के संस्थापक-लेखक अविजित रॉय की गुरुवार रात ढाका की सड़क पर हत्या कर दी गई। रॉय की धर्मनिरपेक्ष छवि कट्टरपंथ विरोधी लेखकीय मुहिम से चिढ़े इस्लामी आतंकवादियों ने उनकी हत्या की। हमलावरों ने उनकी पत्नी रफीदा अहमद बान्ना की हत्या की भी कोशिश की। वे अस्पताल में दाखिल हैं।
बांग्लादेशी मूल के अमेरिकी नागरिक रॉय अपनी दो किताबों के लोकार्पण के सिलसिले में इन दिनों ढाका में थे। उनके मित्रों ने बताया कि ढाका में पुस्तक मेले में भाग लेने के बाद शुक्रवार को वे कोलकाता जाने वाले थे लेकिन कट्टरपंथियों ने उनके ढाका छोड़ने से पहले ही अपना खूनी मनसूबा पूरा कर लिया।

सूत्रों के अनुसार, धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ लिखने को लेकर कुछ दिन पहले उन्हें धमकियां मिली थीं। उन्हें देश न आने को भी कहा गया था। इसके बावजूद अविजित रॉय (44) ढाका पुस्तक मेले में शमिल होने के लिए 16 फरवरी को बांग्लादेश आए थे जहां उनकी तीन पुस्तकें इस साल प्रकाशित हुई। उन्हें चार मार्च को अमेरिका रवाना होना था। उनके छोटे भाई अनुजीत रॉय ने यह जानकारी दी।
अविजित रॉय की धर्मनिरपेक्ष छवि कट्टरपंथ विरोधी लेखकीय मुहिम से चिढ़े इस्लामी आतंकवादियों ने उनकी हत्या की। हमलावरों ने उनकी पत्नी रफीदा अहमद बान्ना की हत्या की भी कोशिश की। वे अस्पताल में दाखिल हैं। (फोटो: एपी)

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सिराजुल इस्लाम ने बताया कि हम अभी भी अपराधियों की पहचान के बारे में अस्पष्ट हैं लेकिन पुलिस को शक है कि प्रो हुमायूं आजाद पर हमला करने वालों का ही इसमें हाथ है। रॉय के करीबियों ने बताया कि पति-पत्नी पुस्तक मेले से लौट रहे थे तभी तीन लोगों ने उन पर हमला किया।
इस्लामी कट्टरपंथियों कीओर से चलाए जा रहे एक ट्विटर अकाउंट अंसार बांग्ला-7 ने शुक्रवार को ट्वीट किया किया कि ‘इस्लाम विरोधी ब्लॉगर’ की हत्या उनके इस्लाम के खिलाफ जुर्म के कारण किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सिराजुल इस्लाम ने बताया कि हम अभी भी अपराधियों की पहचान के बारे में अस्पष्ट हैं। लेकिन पुलिस को शक है कि प्रो हुमायूं आजाद पर हमला करने वालों का ही इसमें हाथ है। (फोटो: एपी)
रॉय अनीश्वरवादी और कट्टरपंथ विरोधी, खासकर चरमपंथ विरोधी विचारों के लिए जाने जाते थे। अपने ब्लॉग में उन्होंने काफी तल्ख टिप्पणियां की थीं। इसी कारण बांग्लादेशी कठमुल्ले उन्हें निशाना बनाने की फिराक में थे। उन्होंने दस किताबें लिखी जिनमें ‘बिश्वाशेर वाइरस’ नामक किताब भी है जिसमें धार्मिक उन्माद की कड़ी निंदा की गई।
व्यवसाय से इंजीनियर रॉय की हत्या से बांग्लादेश के लेखकों और धर्मनिपेक्षता समर्थकों में जबरदस्त रोष है। शुक्रवार को ढाका विश्वविद्यालय के करीब लेखकों, ब्लॉगरों और कार्यकताओं ने शानबाग में धरना दिया। उन्होंने हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की।