RTI को ठेंगा दिखाता था कमिश्नर, अब ठुका जुर्माना

भोपाल। RTI को ठेंगा दिखाने वाले कमिश्नर एसके रैवाल पर सूचना आयोग ने 25 हजार रुपए का जुर्माना ठोकते हुए दण्डित किया है। मामला उन दिनों का है जब वो शिवपुरी में सीएमओ हुआ करता था। एक अन्य दण्डादेश में सूचना आयोग ने पीडब्ल्यूडी के ईई पर जुर्माना ठोका है।

आयुक्त आत्मदीप ने नगर निगम, बुरहानपुर के आयुक्त एसके रैवाल पर 25 हजार रुपए और लोक निर्माण विभाग, संभाग 1, ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री आरके गुप्ता पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि एक हफ्ते में आयोग में जमा कराने का आदेश दिया गया है। आदेश का पालन न होने पर यह राशि दोनों के वेतन से काटने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक /विभागीय कार्रवाई पर भी विचार किया जाएगा।

आयुक्त आत्मदीप ने फैसले में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 के तहत चाही गई जानकारी 30 दिन में उपलब्ध कराना आवश्यक है। दोनों पीआईओ ने इसका पालन नहीं किया। उन्होंनेे अपीलार्थियों को शुल्क व प्रथम अपील संबंधी आवश्यक सूचना भी नहीं दी। 3 वर्ष से अधिक की देरी से भी जानकारी तब मुहैया कराई गई जब आयोग ने आदेश दिया। अत: धारा 7 के उल्लंघन पर दोनों तत्कालीन पीआईओ पर धारा 20 (1) के तहत शास्ति अधिरोपित की जाती है।

यह है मामला
अपीलार्थी मानकचंद्र राठौर ने आवेदन 11 अप्रैल 2011 द्वारा नगर पालिका शिवपुरी के तत्कालीन पीआईओ व सीएमओ एसके रैवाल से नपा अधिकारियों के विरुद्ध लंबित जन शिकायतों, नपा अशोकनगर द्वारा नपा परिषद शिवपुरी को लिखे 2 पत्रों तथा उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। मामला अनियमितताओं से संबंधित था।

PIO की हिमाकत
रैवाल ने आवेदन के निराकरण की तय अवधि खत्म होने के बाद यह लिख कर जानकारी देने से इंकार कर दिया कि जनशिकायत (पीजी) संबंधी जानकारी बेवसाइट से प्राप्त की जा सकती है। नपा परिषद, अशोकनगर द्वारा सीएमओ शिवपुरी को लिखे गए पत्रों की जानकारी व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है जो लोक क्रियाकलाप व लोकहित से संबंधित न होने के कारण धारा 8 व 11 के तहत नहीं दी जा सकती।

रैवाल ने उनके इस निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत प्रथम अपील का सुनवाई सूचना पत्र लेने से ही इंकार कर दिया। यही नहीं, वे प्रथम अपीलीय अधिकारी, संभागीय उप संचालक, नगरीय प्रशासन व विकास के समक्ष न सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही कोई अपील उत्तर पेश किया। उन्होंने अपीलीय अधिकारी द्वारा 1 जुलाई 2011 को पारित इस आदेश का भी पालन नहीं किया कि वे अपीलार्थी को चाही गई जानकारी 10 दिन में उपलब्ध कराकर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।

द्वितीय अपील होने पर सूचना आयोग ने रैवाल को 27 नवंबर 14 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। रैवाल के अनुरोध पर उन्हें इसका जवाब पेश करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया। इसके बाद भी वे आयोग के समक्ष न सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही कारण बताओ नोटिस का कोई उत्तर प्रस्तुत किया।

कानून की अवमानना
आयुक्त आत्मदीप ने इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए आदेश में कहा कि प्रकरण में धारा 8 व 11 लागू नहीं होती है। अपितु सूचना के अधिकार के प्रति तत्कालीन पीआईओ की कत्र्तव्य विमुखता व पदीय दायित्व के निर्वहन में विफलता प्रदर्शित होती है। उनके द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों व प्रावधानों के प्रति सद्भावना न दिखाते हुए जानकारी नहीं देने के कारण खोजे गए हैं तथा अयुक्तियुक्त आधार पर जानकारी देने से इंकार किया गया है।

आखिर दी जानकारी
आयोग के आदेश पर अपीलार्थी को अप्रैल 2011 में चाही गई जानकारी दिसंबर 2014 व जनवरी 2015 में नि:शुल्क प्रदाय कर दी गई है।

अपीलीय अधिकारी का आदेश खारिज
दूसरे प्रकरण में अजय परमार ने पीडब्ल्यूडी संभाग मुरैना के तत्कालीन पीआईओ व कार्यपालन यंत्री आरके गुप्ता से केंद्रीय पंजीयन व्यवस्था के तहत सी श्रेणी के पंजीयन में लगाई गई अतिरिक्त शर्त संबंधी जानकारी मांगी थी, जो नहीं दी गई। 21 जुलाई 11 को मांगी गई यह जानकारी आयोग के आदेश पर 4 दिसंबर 2014 को दी गई। आयुक्त आत्मदीप ने इस विलंब के लिए गुप्ता को दोषी करार देते हुए दंडित किया। साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारी के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सुनवाई में उभय पक्षों के अनुपस्थित रहने के आधार पर प्रथम अपील निरस्त कर दी गई थी। आयुक्त आत्मदीप ने इसे विधिविरुद्ध निर्णय करार देते हुए कहा कि संबंधित पक्षों के अनुपस्थित रहने पर गुण दोष के आधार पर अपील का निराकरण किया जाना चाहिए था। 

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