वोटिंग से पहले ही पचौरी ने रिकार्ड कराए हार के कारण

भोपाल। कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी अपने प्रिय कैलाश मिश्रा के लिए टिकिट तो हथिया लाए परंतु उन्हें मुकाबले में बनाए रखना भी उनके लिए मुश्किल हो गया। इस बार तो दिखावे के लिए भी कांग्रेस एकजुट नहीं हुई। सिंधिया और कमलनाथ एक मिनट के लिए भी भोपाल नहीं आए, दिग्विजय सिंह आए भी तो बस औपचारिकता पूरी करके चले गए।

कांग्रेस की परंपरा है, हार के बाद जिम्मेदारी तय होगी। ठीकरा पचौरी के सर ही फूटेगा शायद इसीलिए हताश सुरेश पचौरी ने वोटिंग से पहले ही हार के कारण रिकार्ड करा दिए। वोटिंग से एक दिन पहले 30 जनवरी को जब प्रत्याशी और उसके सरपरस्त एक एक मिनिट का उपयोग वोट जुटाने के लिए कर रहे हैं, सुरेश पचौरी मय दल बल के निर्वाचन आयोग में ज्ञापन देने गए, ऐसा ज्ञापन जिसका कोई लाभ नहीं होने वाला। इसे आप 'अपनी कमजोरी छिपाने का प्रयास'

शिवराज की अपील पर आपत्ति
कांग्रेस ने मोबाइल पर की जा रही शिवराज सिंह चौहान की रिकार्डेड अपील पर आपत्ति जताई है, कहा है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है, इसे रोकिए।
जबकि यह किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं है। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से वोट की अपील कर सकता है। फोन पर या साक्षात उपस्थित होकर भी। बस ध्वनिविस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं कर सकता। रैली नहीं निकाल सकता, सभाएं नहीं कर सकता।
होना यह चाहिए था कि कांग्रेस भी अपने चुनाव अभियान में मोबाइल पर रिकार्डेड अपील को शामिल करती। भाजपा की ओर से शिवराज कर रहे थे तो कांग्रेस की ओर से उनका कोई स्टार कर लेता। चुनाव आयोग ने कब रोका था कांग्रेस को।

10 हजार ईवीएम खराब
यह एक गंभीर विषय है परंतु कांग्रेस को इसकी जानकारी ही नहीं थी। मीडिया में खबरें छप गईं सो ज्ञापन दे डाला। यदि कांग्रेस के पास पुख्ता जानकारी थी तो सख्त विरोध करती, निर्वाचन आयोग को रातों रात मशीनें बदलनी पड़तीं, वैसे भी मशीनों की कमी थोड़े ही है, परंतु इस मामले में शायद कांग्रेस खुद आश्वस्त नहीं है। बस ज्ञापन में एक विषय जोड़ दिया गया, लगता है। मशीनें 24 नवम्बर 2014 की स्थिति में खराब थीं, 30 जनवरी 2015 की स्थिति में मशीनों की हालत क्या है, कांग्रेस को नहीं पता। वैसे भी जब चुनाव आयोग ने मशीनों की जांच का अवसर कांग्रेस को दिया था तब उसने कोई आपत्ति क्यों नहीं की।

भाजपाईयों ने हथिया लीं फोटोयुक्त पर्चियां
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि फोटोयुक्त मतदाता पर्चियों का पूरी तरह से वितरण नहीं किया गया है। भाजपा के नेताओं ने बीएलओ से एकमुश्त पर्चियां हथिया लीं हैं और फर्जी वोटिंग की संभावना है।
सवाल यह है कि जब मतदाता पर्चियों का वितरण हो रहा था और भाजपा नेता बीएलओ से पर्चियां छीन रहे थे, तब कांग्रेस कार्यकर्ता कहां थे। इस मामले में पूरे भोपाल में एक भी वार्ड में कोई शिकायती आवेदन किसी भी कांग्रेसी वार्ड प्रत्याशी द्वारा नहीं दिया गया है। इसे आप कांग्रेस की एक कल्पना मान सकते हैं। वैसे भी वोटिंग के टाइम कांग्रेस कार्यकर्ता भी बूथ पर रहेंगे, यदि फर्जी वोटिंग हुई तो वो आपत्ति उठाएंगे ही। कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस प्रत्याशी के पास बूथ स्तर पर कार्यकर्ता ही नहीं हैं।

सोशल मीडिया पर प्रचार रोकिए
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री एवं अन्य भाजपा नेताओं द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार किया जा रहा है, इसे तत्काल रोका जाए, यह आचार संहिता का उल्लंघन है।
जबकि यह किसी भी स्थिति में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति का संदेश केवल उसके अपने निजी मित्रों तक ही पहुंचता है, वह सार्वजनिक नहीं होता। यदि इसे गलत बताएंगे ​तो फिर शहर भर में लगे झंडे, होर्डिंग्स, 30 जनवरी 2015 को अखबारों में छपे विज्ञापनों को भी उल्लंघन माना जाना चाहिए। दैनिक भास्कर में तो कांग्रेस का ही विज्ञापन छपा है।
होना यह चाहिए था कि कांग्रेस भी अपने प्रत्याशी के समर्थन में इंटरनेट एवं सोशल मीडिया पर विज्ञापन अभियान चलाती। लोगों को आकर्षित करने का यह सबसे अच्छा, सरल और सुलभ माध्यम है।

कुल मिलाकर कांग्रेस ने इस ज्ञापन के माध्यम से अपनी संभावित हार के कारणों को सरकारी दस्तावेजों में रिकार्ड करा दिया है। चुनाव परिणाम के बाद हाईकमान को दिखाने के काम आएगा, कहा जा सकेगा कि पक्षपात हुआ है। चुनाव आयोग से शिकायत की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!