विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव/खरगोन। खरगोन जिले के गांवों में शादी के नाम पर धोखाधड़ी का खेल जोर-शोर से चल रहा है। रैकेट में दलालों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं। इनके जरिए 'दुल्हनें' खरीदी और बेची जा रही हैं। दलाल 40 हजार से 2 लाख रुपए में सौदा करने के बाद जरूरतमंदों को ये 'दुल्हन' सौंप देते हैं।
कुछ दिन परिवार में समय बिताने के बाद ये दुल्हनें जेवर पैसे लेकर रफू-चक्कर हो जाती हैं। पारिवारिक प्रतिष्ठा और लोक-लाज के चलते पीड़ित परिवार पुलिस के पास नहीं जाते। ग्रामीणों को दावा है कि दो साल के अंदर 200 से अधिक परिवारों के साथ ऐसी धोखाधड़ी हो चुकी है।
मजबूरी का उठाते हैं फायदा
जला मुख्यालय से 40 किमी दूर गांव डाबा। देवीलाल ने 26 वर्षीय बेटे के लिए महाराष्ट्र के आरनी (येवतमाल) की पिंकी नाम की लड़की पसंद की। दलाल ने युवती के परिवार को निर्धन बताया। मीणा ने 75 हजार रुपए नकद, 50 हजार के कपड़े और 25 हजार के जेवर चढ़ाए। पिंकी से उसकी मां मोबाइल पर संपर्क में रही और बाद में पिंकी घर का सामान लेकर रफू-चक्कर हो गई। मीणा कई बार महाराष्ट्र गए, परंतु परिवार का अता-पता नहीं चला। बहू के इंतजार में बेटे ने अब तक दूसरी शादी नहीं की।
सात माह में गायब
खामखेड़ा निवासी दिनेश (29) ने लोहा (नांदेड़, महाराष्ट्र) की युवती पसंद की। ओंकारेश्वर में शादी हुई। इस शादी में 55 हजार नकद, 35 हजार के जेवर सहित करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च किए। संगीता नाम की यह युवती भी 7 माह में रफू-चक्कर हो गई। दिनेश ने भी कई चक्कर लगाए, परंतु नतीजा सिफर और दलाल गायब।
ऐसे चलता है खरीद-फरोख्त का धंधा
रैकेट में दलाल बकायदा तय स्थानों पर खरीद-फरोख्त का धंधा करते हैं। जिले के ही पेनपुर, वायसेत, लौंदी, खामखेड़ा, मुलठान, डाबा, अंदड़ आदि क्षेत्रों में यह रैकेट सक्रिय है। कई दलाल महाराष्ट्र के येवतमाल, नांदेड़, धुलिया, जलगांव आदि क्षेत्रों से जुड़े हैं। शुरुआत में इन लड़कियों को बुलाकर दिखाते हैं। सौदा जमने के बाद वैवाहिक रस्म अदा कर दी जाती है। ये नई दुल्हनें बहाना बनाकर या विवाद कर कुछ ही दिनों में भाग जाती हैं। जिन रिश्तेदारों से परिचय करवाया जाता है वे भी फर्जी निकलते हैं। यहां तक कि उन संबंधित गांवों में उनके अते-पते भी नहीं मिलते।