सरकार के खिलाफ महिला संविदा सुपरवार्इजरों ने शुरू किया उपवास

भोपाल। महिला बाल विकास की संविदा महिला पर्यवेक्षकों की गिरफ्तारी के बाद शासन ने उनको नीलम पार्क में धरने की अनुमति दी। सरकार की उपेक्षा से नाराज संविदा महिला सुपरवार्इजर आज से उपवास पर बैठ गर्इ हैं।

पहले दिन आज दस महिला सुपरवार्इजर उपवास पर बैंठीं, आज उपवास पर निम्नलिखित महिला संविदा सुपरवार्इजर बैंठी अनिता मौर्य, ऋतु शर्मा, मुन्नी साहू, ऋतु इंदुरकर विदिशा से, अभिलाषा मंडलोर्इ धार से किरण सोनलकर, लक्ष्मी चक्रधर चित्रलेखा सिंह राजगढ़ से, महिन्द्रा बहोड़ नीमच से, उषाकिरण बैतुल से। महिला संविदा सुपरवार्इजरों का धरना और भूख हड़ताल म.प्र. महिला बाल विकास सर्व पर्यवेक्षक समिति नाहिद जहां तथा म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में किया जा रहा है।

महिला बाल विकास की संविदा पर्यवेक्षकों की प्रमुख मांगें निम्न प्रकार हैं।

(1) 18 फरवरी 2014 को कैबिनेट के द्वारा लिये गये निर्णय जिसमें यह कहा गया है कि संविदा महिला पर्यवेक्षकों को नियमित होने के लिए दोबारा व्यापम की परीक्षा देनी होगी उसे निरस्त करते हुये । नियमित पदों पर सीधे नियमित किया जाए।

(2) अभी वर्तमान में संविदा महिला पर्यवेक्षकों को मात्र 10000 हजार रूपये वेतन दिया जा रहा है । और नियमत महिला पर्यवेक्षकों को 35000- से ज्यादा दिया जा रहा है । नियमित पर्यवेक्षकों के बराबर उनको भी वेतन दिया जाए। समान कार्य समान वेतन का नियम लागू किया जाए।

(3) संविदा पर्यवेक्षकों को भी मकान किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता, अर्जित अवकाश, चिकित्सा अवकाश दिया जाए ।

(4)  संविदा महिला पर्यवेक्षकों की  2007 में व्यापम परीक्षा उत्तीर्ण कर मैरीट के आधार नियुकित प्रदान की गर्इ थी ।  म.प्र. सरकार ने जब व्यापम की परीक्षा में दो बार फेल गुरूजियों को सीधे संविदा शिक्षक बनाने का निर्णय ले लिया और ये गुरूजी संविदा शिक्षक बनकर तीन साल बाद नियमित अध्यापक हो जायेंगें । जब सरकार फेल गुरूजियों को नियमित कर सकती है तो व्यापम से उत्तीर्ण महिला संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित क्यों नहीं कर सकती है । जबकि सभी महिला संविदा पर्यवेक्षक नियमित पद के विरूद्व कार्य कर रही हैं ।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर महिला बाल विकास समिति पर्यवेक्षक समिति की अध्यक्ष नाहिद जहां ने कहा है कि सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा के लिये नहीं बुलाया तो हम सभी महिला पर्यवेक्षक आमरण अनशन के लिए बैठ जायेंगी।

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