राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी संगठन अपने मार्गदर्शक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ 8 एवं 9 सितम्बर को उस पहेली को सुलझाने की कोशिश करेंगे जो नरेन्द्र मोदी के गुजरात में रहने या लोकसभा चुनाव के रास्ते दिल्ली आने के सवाल को लेकर खड़ी हुई है|
इस पहेली को गोवा के मनोहर पार्रिकर और मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान ने जहाँ आज कुछ जटिल किया था| वहीं योगी और भारतीय स्वाभिमान पार्टी के सर्वेसर्वा बाबा रामदेव की चुनौती ने निर्णय करने वालों को असमंजस में खड़ा कर दिया है | इस उधेड़बुन का नतीजा अभी तक तो सिर्फ “कन्फ्यूजन” ही नजर आता है |
सबसे पहले डी जी वंजारा | केंद्र सरकार वंजारा के पत्र की सी बी आई से जाँच कराना और इस बहाने नरेन्द्र मोदी के दिल्ली कूच में अडंगा डालना चाहती थी | सी बी आई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने पत्र को राजनैतिक बताते हुए पूरे मामले की हवा फ़िलहाल निकाल दी | सी बी आई के बारे में सब यह भी जानते है कि अगर फिर दबाव बना तो नये सिरे से भी मामले को शुरू करने में कोताही नहीं बरतेगी| गौर तलब है की फर्जी मुठभेड़ में ३२ पुलिस अधिकारी जेल में हैं | यह एक रिकार्ड है |
मनोहर पार्रिकर कभी मोदी समर्थक थे, अब खफा है | डॉ मुरली मनोहर जोशी द्वारा उठाए गये मुद्दे को रेखांकित कर रहे हैं | शिवराज सिंह की चिंता मध्यप्रदेश की वे 30 सीटें हैं, जो मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनते ही भाजपा से दूर चली जायेंगी | 10 साल और 30 सीटों की कमजोरी, यक्ष प्रश्न है | पर अभी क्यों? अगर शिवराज की बात मान ली गई, तो क्या गारंटी है, जिनका विश्वास 10 साल में नहीं जीत सके, अब जीत लेंगे |
बाबा रामदेव की बात तो निराली है | रामलीला मैदान में वे जब आन्दोलन चला रहे थे, उन्होंने कहा था कि “हमारी सरकार से बात चल रही है| संघ परिवार से थोडा दूर रहना बेहतर होगा|” अब नरेंद्र मोदी नहीं तो भाजपा को समर्थन नहीं | पता नहीं बाबा के पास ज्यादा वोट है या भाजपा के पास |
बाबा वैसे भ्रष्टाचार निवारण के लिये एक मोर्चा के एन गोविन्दाचार्य की संयोजकत्व में भी बना चुके है | आजकल मोर्चे का पता नहीं है| सिर्फ घोषणा, और आगे कुछ भी नहीं | इस चेतावनी के बहाने मोदी के पक्ष में दबाव जरुर बनेगा,पर नतीजा कुल मिलाकर सामूहिक नेतृत्व बनाम कन्फ्यूजन के अलावा कुछ भी नहीं है|