दीपक ताम्रकार/मंडला(9407319278)। एक कहावत है नदी किनारे घोंघा प्यासा। जी हां नर्मदा नदी से महज तीन किलोमीटर दूर पर एक गांव है ईमलीगोहान। जहां आज तक नल जल योजना नही पहुंची। गांव में एक कुआं है वह भी दूषित। गांव में पानी के कारण एक अनजानी बीमारी ने पूरे गांव को अपने बस में कर लिया है। इस गांव की आबादी है 1500 से 2000 लेकिन गांव सूना पड चुका है। बचे खुचे लोग जैसे तैसे अपना जीवन डबरा डबरी में पडे पानी के सहारे काटने को मजबूर है। पेश है एक खास रिपोर्ट:—
गांव में सुबह होते ही लोग अपने काम धाम को चले जाते है अभी गर्मी अपना रौद्र रूप दिखा रही है। गांव के लोगों की वर्तमान में सबसे बडी समस्या है पानी की। जो बहुत दूर से लाना पडता है। कहने को गांव में दो हेंडपंप है जहां से पूरा गांव पानी भरता है। आइये देखते है क्या है उस पानी में।
गांव के बुजुर्गो की हालत बहुत गंभीर है जिन्हे इस बीमारी के चलते चलने फिरने में परेशानी उठानी पडती है। बुजुर्ग महिला के हाथ पैर व पूरे शरीर में दर्द बना हुया है। यहां बच्चे जवान नहीं होते, सीधे बूढ़े हो जाते हैं। पानी ही ऐसा है।
गांव में बडे व बच्चे सभी इस फ्लोराइड युक्त पानी का उपयोग पीने के लिए कर रहे है जिनकी शारीरिक विकृति साफ दिखाई देती है। काम करने वाली महिला अपने आप को थका महसूस करती है उन्हे अपने बच्चो की ज्यादा चिंता है। इनकी मांग है कि गांव में साफ पानी नर्मदा का दिया जाए।
गांव के बच्चों में ये बीमारी ज्यादा फैल चुंकी है। अधिकाशं बच्चों के दांतो में इस फलोराइड का प्रभाव पडा है। जो बच्चे देश का भविष्य कहे जाते है उन्हे नही मालूम की उनका आगे का भविष्य कितना डरावना होगा।
फलोराइड क्या होता है इससे मानव शरीर पर क्या असर पडता है। इसकी जानकारी फलोराइड विशेषज्ञ डां हर्ष कर्महे ने बताया।
ऐसा नही कि गांव में सभी अशिक्षित हो ,जागरूक नागरिको ने बताया कि गांव में किसी भी प्रकार की योजना का लाभ नही दिया गया है। गांव के अधिकाशं लोग पलायन कर चुके है। जो भोपाल,नागपुर,बाम्बे,जबलपुर जा चुके है। गांव में पानी की समस्या को स्वास्थ्य यात्रिंकी विभाग को लिखित सूचना देने के बावजूद कोई कार्यवाही नही हुई। इस पूरे मामले में जब पी,एच,ई विभाग के अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होने ऐसी कोई बात होने से साफ इन्कार कर दिया।