भोपाल। संविदा शिक्षकों और अध्यापकों की तमाम मांगों और उनके निराकरण को लेकर भोपाल में प्रस्तावित महाकुंभ अब टंटे में फंस गया है। टंटे की जड़ है अध्यापकों को मिलने वाले लाभों का क्रेडिट। अध्यापक संविदा शिक्षक संयुक्त मोर्चा चाहता है कि अध्यापकों को मिलने वाले लाभों का क्रेडिट उसे मिले, जबकि सरकार चाहती है कि क्रेडिट पर सर्वाधिकार हमारा होगा।
इसी टंटे के चलते अध्यापक संविदा शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने रविवार को भोपाल में महाकुंभ आयोजित करने की घोषणा कर दी है। मोर्चा ने बताया है कि इसमें अध्यापकों, संविदा शिक्षक, गुरुजी आदि परिवार सहित हिस्सा लेंगे, जबकि मध्यप्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया है कि इस महाकुंभ में सीएम नहीं आएंगे।
यह घोषणा मोर्चा के अध्यक्ष मुरलीधर पाटीदार व संयोजक बृजेश शर्मा ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता में की। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे पहली मुख्य मांग अध्यापक, संविदा शिक्षकों व गुरुजी का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने की है। इसे सरकार लंबे समय से नहीं मान रही है। वहीं, समान कार्य व समान वेतन भी अध्यापक, संविदा शिक्षकों आदि को मिलना चाहिए।
पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार देर रात आश्वासन दिया था कि वेतन भत्तों में बढ़ोतरी सहित अतिथि शिक्षकों तक के मामले में विचार चल रहा है। इस बात की घोषणा एक-दो दिन में कर दी जाएगी। इससे मोर्चा संतुष्ट नहीं है। इसलिए आंदोलन जारी रहेगा।
कुल मिलाकर संविदा शिक्षकों और अध्यापकों के हाथ में आया मुर्गा, बटेर के चक्कर में हाथ से जाता दिखाई दे रहा है। यदि मोर्चा आंदोलन की घोषणा करता है तो क्या सरकार तय किए गए लाभ देगी और इसके अलावा भी कई सारे सवाल है और तेजी से उठ खड़े हुए हैं।