भोपाल। मप्र में यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना एक महिला आईएएस अफसर को भी भारी पड़ गया। एक एफआईआर क्या कराई, हर कदम पर उसे शर्मसार होना पड़ रहा है। हालत यह बन गए कि तंग आकर उसने अपनी फेसबुक पर लिख दिया 'मैं केवल यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला जन्म न ले।'
मप्र के सिवनी जिले में पदस्थ इस महिला अफसर की तकलीफों की शुरूआत एक सप्ताह पहले तब हुई जब उसने यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। बाफ्ना ने अपनी पोस्ट में कहा कि उन्होंने मानवाधिकार आयोग के आयोगमित्र संतोष चौबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। चौबे ने बाफ्ना को अश्लील मेसेज भेजे थे। हालांकि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर भारत यादव ने चौबे पर तत्काल ऐक्शन लिया और उसे पद से हटा दिया।
अपनी दुख की वजह बताते हुए बाफ्ना ने कहा, 'जब अपना बयान दर्ज कराने मैं अदालत पहुंची तो कक्ष में एक वकील भी मौजूद थी। इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी, इसलिए मैंने उस वकील और दूसरे लोगों को वहां से जाने की गुजारिश की।' इसके बाद वकील ने चिल्लाते हुए उन्हें कहा, 'आप अपने ऑफिस में ऑफिसर होंगी, अदालत में नहीं।'
बाफ्ना कहा, 'मैंने अपनी चिंता से जज को भी अवगत कराया। जब मैंने न्यायिक मैजिस्ट्रेट से कहा कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के मामले में जब कोई महिला अपना बयान दे रही हो तो वहां दूसरे लोग मौजूद ना हों। इस पर जज ने कहा कि आप युवा हैं और इसी वजह से ऐसी मांग कर रही हैं।'
इससे आहत होने के बाद बाफ्ना ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि यह देश महिलाओं की दुर्दशा को लेकर 'असंवेदनशील' बना रहेगा। 'मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में। यहां हर कदम पर उल्लू बैठे हैं...'
इस पोस्ट के बाद एक तरफ तो सोशल मीडिया पर यह तेजी से वायरल होती चली गई, दूसरी तरफ रिजु बाफ्ना पर प्रशासनिक प्रेशर बढ़ना शुरू हो गया। इस पोस्ट को कुछ इस तरीके से लिया गया जैसे रिजु ने देश के प्रति विद्रोह का ऐलान किया है।
अंतत: पीड़िता महिला अफसर ने ने अपनी पहली पोस्ट के लिए खेद जताया है। बाफ्ना ने कहा, 'पहली पोस्ट मैंने आवेगवश लिख दी थी। हम किसी व्यक्ति के लिए पूरे देश को ब्लेम नहीं कर सकते। मुझे देश पर पूरी भरोसा है।'