कांग्रेस पार्टी के एक नेता एवं कॉलेज संचालक श्री संजीव सक्सेना पहले से ही व्यापम घोटाले में उलझे हुए हैं। आप कांग्रेस पार्टी के विधायक श्री आरिफ मसूद के खिलाफ अपने कॉलेज की मान्यता के लिए फर्जी दस्तावेज का उपयोग करने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश जारी हो गए हैं।
इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज भोपाल की मान्यता में फर्जीवाड़ा का मामला
इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज भोपाल का संचालन अमन एजुकेशन सोसाइटी द्वारा किया जाता है। समिति के सचिव का नाम श्री आरिफ मसूद है। श्री आरिफ मसूद कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं और मध्य विधानसभा से विधायक भी है। मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता निरस्त करके उसकी संबद्धता समाप्त करने के निर्देश भी बरकतउल्ला विश्वविद्यालय को दिए थे। सरकार द्वारा 9 जून 2025 को जारी आदेश की वैधानिकता को कॉलेज की संचालक समिति द्वारा हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश में चैलेंज किया गया। आज दिनांक 18 अगस्त 2025, सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत रूपराह व पैनल अधिवक्ता आकाश मालपाणी ने पक्ष रखा।
हाई कोर्ट का आदेश: SIT से जांच करवाओ और कोई भी बचना नहीं चाहिए
सुनवाई के बाद अपना विस्तृत आदेश सुनाते हुए हाई कोर्ट की बेंच ने डीजीपी कैलाश मकवाना को निर्देशित किया है कि वे एक SIT का गठन करें। पीएचक्यू के टेलीकम्युनिकेशन विभाग के एडीजी संजीव शमी को इस एसआईटी का प्रमुख बनाया जाए और उनकी पसंद के दो और अधिकारियों को इसमें शामिल किया जाए। पुलिस द्वारा दर्ज किए जाने वाले मामले की जांच की जिम्मेदारी एसआईटी की रहेगी और सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी आरोपी बचने न पाए।
20 साल से फर्जीवाड़ा चल रहा है, गुनाहों पर पर्दा डाला गया
बेंच ने सुनवाई के दौरान मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए फटकार भी लगाई। बेंच ने कहा कि यह फर्जीवाड़ा पिछले दो दशक से चल रहा है। सब कुछ सरकार की जानकारी में था। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उनके गुनाहों पर पर्दा डाला गया। वर्ष 2023 में नेतृत्व परिवर्तन के बाद इस मामले पर कार्रवाई को हुई, लेकिन फिर भी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।