बहुत से व्यक्ति ऐसे बालकों को जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है उन्हें चाय की दुकान, होटल, किसी प्रकार की किराना शॉप या किसी भी प्रकार की होम डिलीवरी के लिए रखते हैं कुछ वैसे तो बालकों (किशोर) से काम करवाना अपराध होता है लेकिन कुछ शॉप पर 16 वर्ष से अधिक उम्र के बालको को रखा जा सकता है ये शॉप मालिक या कोई होटल प्रबन्धक इन बालकों का शोषण करे तब इनके खिलाफ क्या कार्यवाही हो सकती है जानिए, Justice Act,2015
किशोर न्याय (बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 79 की परिभाषा
किसी नियम के होते हुए कोई ठेकेदार या कोई दुकान स्वामी, होटल प्रबंधक किसी बालक को किसी कार्य के लिए मजदूरी पर रखेगा या उससे बंधुआ मजदूरी करवाएगा या उसके काम के पैसों नहीं देगा या इसके मेहनत के पैसों को स्वयं के लिए उपयोग में लाएगा तब ऐसे ठेकेदार या वह व्यक्ति जो बालक (किशोर) के पैसे नहीं देगा उसे अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
नोट:- यह धारा किसी खेत या भवन निर्माण, बंधुआ मजदूरी करने वाले में ग्रामीण क्षेत्रों के बालकों पर भी लागू होती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665