सूर्य ग्रहण 2019: क्या करें, क्या ना करें: धर्म शास्त्र एवं ज्योतिष के अनुसार | SURYA GRAHAN 2019: what to do, what not to do

भारतवर्ष के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार प्रकृति के संचालन में सूर्य ग्रहण (26 दिसंबर 2019) का विशेष प्रभाव होता है। विज्ञान भले ही इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना कहता हो परंतु भारतीय ज्योतिष शास्त्र कहते हैं कि सूर्य ग्रहण पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए असरकारक होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की आरोग्यवर्धक रश्मियां अपना तेज नहीं दिखा पाती, इसके कारण तेजी से कीटाणु पनपते हैं। यह करोड़ों की संख्या में होते हैं और लोगों की मौत का कारण भी बन सकते हैं। इसीलिए भारतीय धर्म ग्रंथों में सूर्य ग्रहण के दौरान रखे हुए भोजन को दूषित माना जाता है। ज्योतिष कहती है कि सूर्य ग्रहण का स्वास्थ्य के अलावा मनुष्य के मन पर भी असर पड़ता है। भारत के ऋषि मुनियों ने सैकड़ों साल के अध्ययन के बाद सूर्य ग्रहण के दौरान मनुष्यों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। आइए पढ़ते हैं सूर्य ग्रहण के दिन शास्त्र सम्मत गाइडलाइन: 

सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल: क्या करें, क्या ना करें

सबसे पहले हम बात करते हैं सूतक की। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है। सामान्यत: सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। ग्रहण काल में सूतक काल लगता है। ग्रहण के समय 12 घंटे से पूर्व ही सूतक काल आरम्भ हो जाता है। ग्रहण का सूतक, ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान पूजा स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटों के लिए सूतक काल लगने पर देवालयों के पट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे सें पूजा, आराधना निषेध माना जाता है। तात्पर्य यह है कि सूर्य ग्रहण के दौरान अपना पूरा ध्यान अपने स्वास्थ्य की रक्षा और मन को शुद्ध बनाए रखने में लगाएं।

ग्रहण और सूतक काल में क्या करें

सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों का निषेध होता है लेकिन अपने इष्ट देव के मंत्रों का जप लाभदायक बताया गया है। धर्म ग्रंथों में लिखा है सूर्य ग्रहण के दौरान जप करने से अनन्त गुना फल मिलता है। इसलिए इस दौरान जप करने का विधान है। इस दौरान किया गया जप सिद्ध हो जाता है। इस दौरान पकाया हुआ खाना दूषित हो जाता है इसलिए ग्रहण का सूतक लगने से पहले ने पीने की वस्तुओं में तुलसी दल अवश्य डालें। घर में यदि छोटे बच्चे हैं तो उनको सूतक काल के समय बिलकुल अकेला न छोड़ें। नवजात शिशु का इस दौरान खास ख्याल रखें। यदि किसी प्रकार की सिद्धी प्राप्त करना हो तो, सूतक काल में अपने इष्ट देव या देवी- देवता का जाप करें। 

गर्भवती महिलाओं के लिए सूर्य ग्रहण एवं सूतक काल

गर्भवती महिलाओं पर सूतक काल का विशेष प्रभाव पड़ता है इसलिए इस दौरान सूर्य किरणों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए। ग्रहण की छाया गर्भ पर नहीं पड़ना चाहिए। यदि घर में मंदिर है तो इस दौरान मंदिर के पट बंद कर दें या दरवाजे नहीं है तो परदा डाल दे। 

सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद क्या करें

ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में रखा हुआ पानी बदल दें। ग्रहण के समाप्त होने पर पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें नही तो घर पर स्नान कर शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूर्ण करें। ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने पर जरूरतमंदों को दान करें। इस दौरान दिए गए दान का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। ग्रहण काल के दौरान पहने गए वस्त्रों को किसी को दान करें या उतार कर कहीं पर छोड़ दें।

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