संविदा कर्मचारियों का विधायक/मंत्री घेरो आंदोलन | MP EMPLOYEE NEWS

भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि 22 नवम्बर 2017 को दाण्डी यात्रा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने गये संविदा कर्मचारियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद नये वर्ष में नियमितीकरण की उम्मीद लगाए बैठे संविदा कर्मचारियों के अभी तक आदेश जारी नहीं हो पाने से नाराज संविदा कर्मचारियों ने सरकार से अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। 

इसलिए संविदा कर्मचारियों ने चरणबद्व आंदोलन के 7 वें चरण में 6 फरवरी से सभी विधायकों और मंत्रियों के निवास पर सुंदरकांड का पाठकर अपनी समस्याओं से अवगत करायेंगें तथा 16 फरवरी से राजधानी भोपाल में क्रमिक धरना आयोजित कर सत्याग्रह किया जायेगा। जिसमें हर दिन 2-2 जिले भोपाल आकर क्रमिक धरना देंगें। क्रमिक धरना देकर सरकार की नींद हराम करेंगें। उसके पश्चात् आधे दिवस की हड़ताल करेंगें। उसके बाद अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जायेंगें। सत्याग्रह के दौरान सरकार से प्रदेश के सभी विभागों और योजनाओं में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को नियमित करने तथा हटाए गये संविदा कर्मचारियों को वापस लिये जाने की मांग की जायेगी।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि एक तरफ तो सरकार पीछे के दरवाजे से नियुक्त हुऐ गुरूजी, पंचायत कर्मी, शिक्षाकर्मी, दैनिक वेतन भोगी, अतिथि शिक्षक सभी को नियमित कर रही है वहीं दूसरी तरफ विधिवत् चयन प्रक्रिया के माध्यम् से नियुक्त हुऐ संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं कर रही है जो कि यह दर्शाता है कि सरकार की मर्जी है जिसे चाहे में नियमित करू जिसे चाहे संविदा पर रखूं। 

मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि हमने सरकार को लिखित में सुझाव भी दिया है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने पर सरकार पर कोई वित्तीय भार भी नहीं है क्योंकि - 
(1) प्रदेश के विभिन्न विभागों मे ढाई लाख संविदा कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं। सभी विभागों में संविदा कर्मचारियों के पदों के समकक्ष 3 लाख पद खाली पड़े है। वर्ष 2018 तक 1 लाख शासकीय कर्मचारी और रिटायर्ड हो जायेंगें। इस प्रकार चार लाख म.प्र. शासन के शासकीय विभागों में रिक्त हो जायेंगें। जिनका कि नियमित पद से वेतन आहरण होता है। यदि संविदा कर्मचारियों को इन पदों पर संवलियन कर दिया जायेगा तो किसी भी प्रकार को कोई वित्तीय भार नहीं आयेगा।

(2) ढाई लाख में से दो लाख संविदा कर्मचारी केन्द्र सरकार की परियोजनाएं जो कि राज्य सरकार के द्वारा संचालित होती हैं उनमें कार्यरत हैं। इन परियोजनाओं में पैसा केन्द्र सरकार से आता है। ये परियोजनाएं स्थाई प्रकृति की हैं कभी समाप्त नहीं होनी हैं। इन परियोजनाओं में इतना पैसा आता है कि एक-एक कर्मचारी का वेतन पचास हजार दिया जा सकता है। जो कर्मचारी जिस परियोजना में कार्य कर रहे हैं उसी में नियमित कर दिया जाए। वेतन जैसे अभी मिल रहा है वैसे ही मिलने दिया जाए। सभी संविदा कर्मचारियों की औसत आयु 45 से 50 वर्ष के बीच है। नियमित होने के बाद मुश्किल से 10 वर्ष ही सर्विस कर पायेंगें अगले दस या बीस साल तक ये परियोजनाएं चलनी हैं तब तक सभी कर्मचारी रिटायर्ड ही हो जायेंगें। इसलिए सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं आयेगा।

(3) संविदा कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के अनुसार समान कार्य समान वेतन दिया जाए। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि यदि सरकार संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया तो प्रदेश के सभी संविदा कर्मचारी अधिकारी हड़ताल पर चले जायेंगे।

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