सर्दियों में Hypothermia: कारण, लक्षण और उपाय

Bhopal: मानव शरीर में ज्यादा या कम तापमान में खुद को संतुलित कर लेने की क्षमता होती है लेकिन किन्हीं कारणों से जब यह क्षमता घट जाती है या बाहर का तापमान बहुत कम हो जाता है, तो शरीर तापमान के मुताबिक संतुलन नहीं बना पाता। इसमें शरीर का तापमान 34-35 डिग्री तक नीचे चला आता है। इसकी वजह से सर्दियों में हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है। आम भाषा में हम इसे ठंड लगना कहते हैं। इस बीमारी में रोगी के हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगते हैं, काम करना बंद कर देते हैं, पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों को होता है। इसमें उनका शरीर नीला पड़ने लगता है। कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है। खाली पेट हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा होता है।

बीमारी को ऐसे पहचानें  
शरीर का तापमान अगर 95 डिग्री से कम हो जाए या शरीर पर्याप्त गर्मी न पैदा कर पाए, तो हाइपोथर्मिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इस बीमारी में रोगी की आवाज धीमी हो जाती है या उसे नींद आने लगती है। पूरा शरीर कांपने लगता है। हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। दिमाग शरीर का नियंत्रण खोने लगता है।

रोगी का प्राथमिक उपचार
हाइपोथर्मिया के रोगी को सबसे पहले गर्म कपड़ों से ढककर किसी गर्म कमरे या गर्म जगह पर लिटा दें। ध्यान रहे ऐसी स्थिति में सीधे गर्मी देना खतरनाक हो सकता है इसलिए आग के पास या हीटर के पास मरीज को सीधे न ले जाएं। हाइपोथर्मिया के मरीज को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।

शराब पीने से भी खतरा
ठंड के मौसम में शराब पीने से अचानक से गर्मी लगने लगती है तो ये हाइपोथर्मिया की चेतावनी हो सकती है। ठंड लगने पर हृदय की गति सामान्य से तेज हो जाती है। ऐसी स्थिति में मांसपेशियां तापमान का लेवल बनाए रखने के लिए एनर्जी रिलीज करती हैं। शराब पीने से हाथ-पैर की नसें फैलती हैं लेकिन ऐसे में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे हाथ-पांव ठंडे होने लगते हैं मगर इस बात का भ्रम होता है कि ये गर्म हैं।

अन्य बीमारियां- Cough, cold, soreness and headache
सर्दियों में अपना ख्याल न रखने पर खांसी, जुकाम, गले में खराश और सिर दर्द होना सामान्य बात है। इनसे बचने के लिए ठंडी चीजें खाने से परहेज करें। खराश के लिए नमक के गरारे करना अच्छा विकल्प है। ठंडी हवाओं में सिर न ढकने से सिर दर्द बना रहता है।

सांस की समस्या
ठंड में सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। अस्थमा के रोगियों को इन दिनों बहुत दिक्कत होती है।

सीने और जोड़ों में दर्द-
सर्दी के बढ़ने पर कफ या अन्य कारणों से सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। जोड़ों में दर्द से बचने के लिए हर दिन मालिश और व्यायाम करना चाहिए। साथ ही तले-भुने पकवान की जगह घर में बना भोजन करना चाहिए।

ब्लडप्रेशर- सर्दी के दिनों में रक्तचाप अधिक होने से हृदय संबंधी तकलीफें भी हो सकती है। इसके लिए भी आपको व्यायाम और सही उपचार पर ध्यान देने की जरूररत होती है।

रात में ड्राइव करने वालों के लिए हिदायत
कान के पास से सेवेंथ क्रेनियल नस गुजरती है, जो तेज ठंड होने पर सिकुड़ जाती है। इसकी वजह से फेशल Paralysis (लकवा) हो सकता है। इसमें मुंह टेढ़ा हो जाता है, मुंह से झाग निकलने लगता है, बोलने में जबान लड़खड़ाने लगती है। खासकर रात के वक्त बिना सिर ढके ड्राइव करने वालों को इसका खतरा बढ़ जाता है।
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