
गौरतलब है कि मप्र के विभिन्न विभागों एवं परियोजनाओं, तथा निगम मण्डलों में कार्य करने वाले ढाई लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ सहित सभी संविदा कर्मचारी संगठन लाम बंद होकर चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के दूसरे चरण में जब कल संविदा कर्मचारी अधिकारी राजधानी भोपाल के अम्बेडकर मैदान में धरना दे रहे थे तो अचानक अरविन्द केजरीवाल ने पहुंचकर संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण का समर्थन किया और कहा कि भाजपा सरकार के पास एक साल का समय है संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दे, नहीं तो हम कर देंगें।
साथ ही अरविन्द केजेरीवाल ने यह भी कहा कि संविदा पर रखना संविदा कान्ट्रेक्ट एक्ट 1970 के खिलाफ है, संविधान के खिलाफ है संविदा नियुक्ति संविधान के ही खिलाफ नहीं है, बल्कि मानवता के खिलाफ भी है। और हमारी दिल्ली सरकार ने संविदा कर्मचारियों को समान कार्य समान वेतन दिया है तथा साथ ही नियमित करने के लिए कार्यवाही की है । हमारी सरकार आते ही हम 6 महीने में नियमित कर देंगें । नियमित करने के लिए बजट की कमी नहीं है बल्कि नियत की कमी है।
म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि वर्तमान भाजपा सरकार के शासन काल में 14 साल हो गये हैं हमने बहुत इंतजार किया अभी तक सरकार ने नियमित नहीं किया लेकिन हर बार वादे किए । अब सब्र का बांध टूट गया है क्योंकि म.प्र. सरकार ने 200 दिन काम करने वाले अतिथि शिक्षकों को नियमित पदों 25 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है, गुरूजी, पंचायत कर्मी, दैनिक वेतन भोगी जिनकी नियुक्ति संरपचों ने की थी जब ऐसे कर्मचारियों को सरकार ने नियमित कर दिया है तो विधिवत् चयन प्रक्रिया के माध्यम् से आए हुये संविदा कर्मचारियों को सरकार नियमित क्यों नहीं कर रही है उनके साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है । इसलिए जब तक शोषित, पीडि़त संविदा कर्मचारियों को सरकार नियमित नहीं कर देती, तब तक संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ अपना संघर्ष जारी रखेगा।