खेती में अब मुनाफा नहीं रहा: टूटे हुए शिवराज सिंह ने कहा

भोपाल। 'खेती को लाभ का धंधा' बनाने की कसम खाने वाले सीएम शिवराज सिंह अब खेती को घाटे का कदम मानने लगे हैं। मप्र के तमाम टॉपर्स को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि खेती में अब इतना मुनाफा नहीं। खेती बट-बटकर घट गई है। खेती जनसंख्या का बोझ नहीं सह सकती है। मेरी इच्छा है कि, आपमें से कुछ बच्चे उद्योग की तरफ आएं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाल परेड मैदान पर मेधावी छात्रों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह ने 13 साल पहले 'मप्र में खेती को लाभ का धंधा' बनाने की कसम खाई थी और अब 13 साल बाद वो बार बार दोहरा रहे हैं कि उन्होंने किसानों के लिए एतिहासिक काम किए हैं। मप्र में किसान अब परेशान नहीं रहा। बावजूद इसके वो सलाह दे रहे हैं कि खेती मत करना। कुछ भी बन जाता लेकिन किसान मत बनना। 

दरअसल, इन दिनों प्रदेश में किसान हताश है। भले ही सीएम खेती को लाभ का धंधा बनाने का दावा करते रहे और बम्पर उत्पादन के लिए पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड ले चुके हैं। फिर भी किसानों को अपनी मांगों के लिए सड़क पर विशाल आंदोलन करना पड़ा। वहीं कर्ज के बोझ में रोज किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। इन हालातों ने प्रदेश की उस हकीकत को सबके सामने ला दिया जिससे अब तक सब अनजान थे।

किसानों पर पड़ी रही दोहरी मार
जब फसल कम निकली तो परेशान और ज्यादा निकल आए। जो आज प्याज की हालत हुई है वो किसी से छुपी नहीं है। किसानों से प्याज खरीदी के लिए सरकार ने फैसला तो ले लिया, लेकिन किसान अपना सबसे कीमती समय (बोवनी के समय) लाइन में लगकर बर्बाद कर रहा है। जिसका खामियाजा उसे अगली फसल में चुकाना पड़ेगा।

सरकारी खजाने को पहुंच रहा है भारी नुकसान  
वहीं प्रबंधन की कमी के कारण किसानों से खरीदी गई प्याज बारिश में सड़ रही है। जिससे सरकारी खजाने को ही भारी नुकसान पहुंच रहा है। इस स्थिति से मुख्यमंत्री भी समझ चुके हैं कि, कृषि की चुनौतियां कम नहीं होगी। क्यूंकि कमजोर व्यवस्थाओं से किसान और परेशान होता जा रहा है और उनका आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। अब तक खेती को लेकर विपक्ष हालात बताने की कोशिश करता रहा। लेकिन अब सीएम ने खुद स्वीकार कर लिया कि प्रदेश में अब खेती लाभ का धंधा नहीं रहा।

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