
सरकार के इस फ़ैसले के फ़ौरन बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई हैं. जहां कई लोगों ने सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत किया और उसे काले धन के ख़िलाफ़ लड़ाई से जोड़ा वहीं कई लोगों ने फ़ैसले की आलोचना भी की और कहा कि सरकार देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ काम कर रही है. केशव वरन नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, "काला धन रखने वालों के ख़िलाफ़ सरकार का एक और ज़बरदस्त स्ट्रोक." विनायक हेगड़े ने लिखा, "बाक़ी के एनजीओ की गतिविधियों पर भी सरकार को कड़ी निगाह रखनी चाहिए. ताकि वो आगे देश के ख़िलाफ़ काम ना करने पाएं."
बड़का बाबू के ट्विटर हैंडल से लिखा गया, "आज तो बहुत सारे बुद्धिजीवी विलाप करेंगे." वहीं अमित कुमार का कहना है, "20 हज़ार एनजीओ के लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए क्योंकि वो साहब की आरती करने की जगह उनसे सवाल पूछ रहे थे. "मसाला चाय नाम के ट्विटर हैंडल से तंज कसते हुए ट्वीट किया गया, "अचानक एक साथ 20 हज़ार एनजीओ ने क़ानून तोड़ा इसलिए बेचारी सरकार को मजबूरी में उनका लाइसेंस कैंसिल करना पड़ा."