उम्मीदें बंधाता प्रधानमंत्री का भाषण

राकेश दुबे@प्रतिदिन। 15 अगस्त को लालकिले से प्रधान मंत्री का भाषण देश का वर्षों का आत्म-विश्लेषण होता है और उपलब्धियों का आकलन भी। इस भाषण में प्रधानमंत्री भावी योजनाओं की रूपरेखा भी प्रस्तुत करते हैं और सरकार का नजरिया भी लोगों के सामने रखते हैं।यही वजह है कि लाल किले से किया जाने वाला यह संबोधन चाहे जितना लंबा हो, लोग उसे ध्यान से सुनते हैं और विश्लेषक उसके एक-एक शब्द का विश्लेषण करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री का भाषण कई तरह की उम्मीदें भी बंधाता है। अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने तकरीबन हर ऐसे विषय को छू लिया, जो आम लोगों की जिंदगी और देश के भविष्य से जुड़ा हुआ है। 

प्रधानमंत्री ने सिर्फ आश्वासन ही नहीं दिए, बल्कि अभी तक जारी प्रगति को आगे बरकरार रखने का भरोसा भी दिलाया। प्रधानमंत्री का सबसे ज्यादा जोर सुराज पर रहा। उन्होंने पूरे भाषण में कई तरह से यह बताया कि सरकार सुराज के लिए किस तरह कदम बढ़ा चुकी है, और लगातार बढ़ा रही है। चाहे वह भ्रष्टाचार मिटाने का मामला हो, लोगों को रोजगार देने का मामला हो, स्किल डेवलपमेंट का मामला हो या गांवों में बिजली पहुंचाने का मामला हो। सरकार को इस बात का भी पूरा एहसास है कि जब महंगाई बढ़ती है, तो तरह-तरह के विकास, तरह-तरह की कोशिशें लोगों को बेकार नजर आने लगती हैं, खासकर गरीब लोगों को। इसलिए सरकार ने मुद्रास्फीति यानी महंगाई की दर को चार फीसदी तक ले आने का लक्ष्य रखा है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक प्रयास करेगा कि महंगाई दर छह फीसदी से ऊपर न जाए। फिलहाल महंगाई की दर छह फीसदी से मामूली सी ऊपर चल रही है। प्रधानमंत्री का यह बयान एक और तरह से महत्वपूर्ण है कि उन्होंने महंगाई कम करने में रिजर्व बैंक की सक्रियता पर अपनी मुहर लगा दी है। अभी कुछ समय पहले तक रिजर्व बैंक और उसके गवर्नर की आलोचना सिर्फ इसलिए हो रही थी कि महंगाई को लक्ष्य करके ही वह नीतियां बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने यदि आम आदमी के स्वास्थ्य बीमा की बात की, तो सुरक्षा बलों में तैनात सैनिकों की भी बात की और दलितों व आदिवासियों का भी पूरा ख्याल रखा। पूरा भाषण बताता है कि सरकार कितने मोर्चों पर किस तरह से सक्रिय है। इस तरह के भाषण अगर जनता में उम्मीद जगाते हैं, तो सरकार के सामने उन उम्मीदों पर खरे उतरने की चुनौती भी पेश करते हैं।प्रधान मंत्री के भाषण में जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है पाकिस्तान के बारे में दिए गए उनके बयान की। 

उन्होंने अपने भाषण में आतंकवाद को शह देने के प्रयासों की निंदा करने के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के साथ ही गिलगित और बलूचिस्तान का भी जिक्र किया। यह जिक्र दरअसल पिछले कुछ दिनों में भारत के रवैये में आई आक्रामकता का परिणाम है, जिसने विदे नीति को एकश नया तेवर दिया है। प्रधानमंत्री का संबोधन फिर इस बात को बताता है कि भारत अब पाकिस्तान के कश्मीर राग को चुप रहकर नहीं सुनेगा, बल्कि उसे बराबर का जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान दुनिया भर के मंचों पर कश्मीर का मसला मानवाधिकर का सवाल बनाकर उठाता रहा है, जबकि मानवाधिकार के मामले में बलूचिस्तान में उसका रिकॉर्ड खुद काफी खराब है। बदलते भारत की विदेश नीति भी बदल रही है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !