
यह रिपोर्ट मार्च महीने में प्रकाशित हुई थी। इस ख़बर के छपने के बाद काफ़ी बवाल मचा था और पुलिस ने कई दिनों तक पुष्प शर्मा से पूछताछ भी की थी। पुष्प शर्मा ने आयुष मंत्रालय से कथित तौर पर आरटीआई के ज़रिए हासिल की गई जानकारी के आधार पर लिखा था कि पिछले साल (2015) 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के मौक़े पर 'मुस्लिम योग प्रशिक्षकों' का विदेश जाकर 'प्रशिक्षण' देने के लिए जानबूझकर चयन नहीं किया गया था।
लेकिन आयुष मंत्रालय ने पुष्प शर्मा पर दस्तावेज़ों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया गया है और इसी आरोप में दिल्ली पुलिस ने उन्हें शनिवार को गिरफ़्तार किया है। पुष्प शर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया है।
उनका कहना है कि उनकी रिपोर्ट योग और आयुर्वेदिक दवाओं के प्रचार प्रसार करने वाले आयुष मंत्रालय से आरटीआई के ज़रिए मिले जवाब पर आधारित थी। पुष्प ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि कई बार मंत्रालय से सवाल करने के बाद जवाब मिला कि 3841 मुस्लिमों ने योग शिक्षक बनने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अक्तूबर 2015 तक किसी को भी नौकरी पर नहीं रखा गया। मिल्ली गज़ट में छपी पुष्प शर्मा की रिपोर्ट के साथ ही मंत्रालय के जवाब को भी छापा गया था।
उनकी रिपोर्ट के मुताबिक़, मंत्रालय के जवाब में कहा गया था कि पिछले वर्ष जून में आयोजित पहले योग दिवस के मौक़े पर 711 मुस्लिम योग प्रशिक्षक के तौर पर विदेश जाना चाहते थे, लेकिन सरकारी नीति को देखते हुए किसी का भी चयन नहीं हो सका था। अख़बार के संपादक ज़फ़रूल इस्लाम ख़ान का कहना है कि पत्रकार पुष्प पर लगाए गए आरोप सीधे तौर पर 'प्रेस की स्वतंत्रता' का हनन है।