भोपाल। प्रदेश के 21 जिलों में युक्तियुक्त करण के नाम पर घोटाला हुआ है। युक्तियुक्तकरण के बाद भी प्रदेश भर के स्कूलों में 8 हजार शिक्षक अतिशेष हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी चल रही है। लीपापोती के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती शुरू कर दी गई है।
- भोपाल के छोला प्राइमरी स्कूल में 271 बच्चों पर 16 शिक्षक हैं, जबकि यहां पर सिर्फ 7 शिक्षकों की आवश्यकता है।
- पुराने भोपाल के वाघमुफ्ती प्राइमरी स्कूल में 216 बच्चों पर 10 शिक्षक हैं। यहां सिर्फ 6 की आवश्यकता है।
- इंदौर के राजेंद्र नगर कन्या शाला स्कूल में 284 बच्चों पर 12 शिक्षक हैं। यहां सिर्फ 8 की जरूरत है।
- नंदन नगर में 56 बच्चों पर 6 शिक्षक हैं, जबकि जरूरत सिर्फ 4 की है।
- अत्री देवी सुदामा नगर में 353 बच्चों पर 13 शिक्षक हैं, जबकि जरूरत सिर्फ 9 की है।
- रीवा शहर से दो किमी दूर अतरौली प्राइमरी स्कूल में महज 2 बच्चे पर 3 शिक्षक हैं।
- रीवा से तीन किमी दूर जौन्ही में 4 बच्चों पर 2 शिक्षक हैं।
- रीवा के प्रमुख चौराहे से महज चार किमी दूर खोबर प्राइमरी स्कूल में 25 बच्चों पर 5 शिक्षक हैं।
- दतिया शहर के रिछरा फाटक प्राइमरी स्कूल में 76 बच्चों पर 9 शिक्षक हैं, जबकि यहां सिर्फ 4 की जरूरत है।
- ड़ौनी मुख्यालय के प्राइमरी स्कूल में 73 बच्चों पर 8 शिक्षक हैं, जबकि सिर्फ 5 की जरूरत है।