उपदेश अवस्थी/भोपाल। भले ही पूरे देश में मोदी की लहर हो परंतु आरएसएस के हेडक्वार्टर नागपुर में शिवराज की आंधी चल रही है। लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। विशेष बात यह है कि गडकरी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में मोदी नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है।
वो शिवराज सिंह चौहान सहित रमन सिंह का चैहरा सामने पेश करके मतदाताओं को यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि वो साम्प्रदायिक चेहरा मोदी की तरह नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह की तरह सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखने वाली राजनीति करते हैं। हंगामा नहीं, विकास पर फोकस करेंगे और शिवराज सिंह की ही तरह अपने मतदाताओं का खयाल रखेंगे।
कहने को नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जन्मभूमि है, लेकिन इस पर कब्जा कांग्रेस का है। नागपुर लोकसभा सीट के अब तक 15 चुनावों में से 12 बार कांग्रेस ने ध्वज फहराया है। जबकि भाजपा के माथे पर मात्र एक बार तिलक लगा। बनवारीलाल पुरोहित ने भाजपा को 1996 में जीत दिलाई थी। विडंबना यह कि पुरोहित भी मूल रूप से कांग्रेसी थे। इस बार भी सीट पर कांग्रेस का दावा कमजोर नहीं है।
लगातार चार चुनाव (1998, 1999, 2004, 2009) जीत चुके विलास मुत्तेमवार ने नागपुर शहर में सडक़ों-पुलों-इमारतों का जो काम करवाया वह दिखता है। लेकिन मुश्किल यह है कि आम आदमी के बिजली, पानी, बेरोजगारी जैसे सवालों का उनके पास जवाब नहीं है। कांग्रेस के परंपरागत वोट काटने की कोशिश मुत्तेमवार नागपुर के लोगों के लिए जहां बहुत जाने पहचाने हैं, वहीं गडकरी को जनता के करीब होने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ रहा है।
लगातार चार चुनाव (1998, 1999, 2004, 2009) जीत चुके विलास मुत्तेमवार ने नागपुर शहर में सडक़ों-पुलों-इमारतों का जो काम करवाया वह दिखता है। लेकिन मुश्किल यह है कि आम आदमी के बिजली, पानी, बेरोजगारी जैसे सवालों का उनके पास जवाब नहीं है। कांग्रेस के परंपरागत वोट काटने की कोशिश मुत्तेमवार नागपुर के लोगों के लिए जहां बहुत जाने पहचाने हैं, वहीं गडकरी को जनता के करीब होने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ रहा है।
गडकरी ने जनसंपर्क के लिए एक खास ढांचा तैयार किया है, जिसमें भाजपा और संघ के उनके करीबी कार्यकर्ता शामिल हैं। मुद्दों पर होगा नागपुर में चुनाव ये लोग झोपड़पट्टियों और उन इलाकों में लगातार सक्रिय हैं, जहां से कांग्रेस को परंपरागत रूप से वोट मिलते हैं। साथ ही गडकरी भाजपा के शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे नेताओं के साथ स्मृति ईरानी और विवेक ओबेराय जैसे ग्लैमरस चेहरों को भी अपने समर्थन में ला रहे हैं। चर्चा है कि गडकरी नहीं चाहते थे कि मोदी उनका प्रचार करें, इसलिए वह यहां नहीं आए। गडकरी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।