भोपाल। मध्यप्रदेश के पिछले मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को विदिशा में लक्ष्मण सिंह की जीत पर यकीन आ गया है और माना जा रहा है कि इसी के चलते मैदान में उतरे निर्दलीय राजकुमार पटेल ने अपना नाम वापस ले लिया है।
पर्चा दाखिल करने से पहले भले ही राजकुमार पटेल ने इसे अपनी सम्मान की लड़ाई बताया था परंतु राजनीति के पंडित इसके पीछे की राजनीति ही तलाश रहे थे। माना गया था कि यह एक फुलप्रूफ प्लान के तहत किया गया था। यह तो सभी जानते हैं कि राजकुमार पटेल, दिग्विजय सिंह केंप से आते हैं एवं सुषमा स्वराज के खिलाफ लक्ष्मण सिंह के मैदान में होते हुए राजकुमार पटेल का चुनाव लड़ना अपने आप में एक आश्चर्यजनक घटना थी।
इसके पीछे की रणनीति के बारे में बताया जा रहा है कि राजकुमार और लक्ष्मण सिंह दोनों के हित देखे गए थे। नाम वापसी के नाम पर राजकुमार पटेल की कांग्रेस में वापसी सुनिश्चित की जानी थी और पटेल वोटों को काटकर सुषमा स्वराज को नुक्सान पहुचाने का प्रयास भी था। इतना ही नहीं, राजकुमार पटेल को मैदान में उतारकर लक्ष्मण सिंह की लाज बचाने की योजना भी थी। ऐसी स्थिति में यदि सुषमा स्वराज के सामने लक्षमण सिंह हार जाते तो आसानी से कहा जा सकता था कि यह सबकुछ राजकुमार पटेल के मैदान में आने के कारण हुआ।
मैदान में उतरने के बाद जब पाया गया कि राजकुमार पटेल सुषमा स्वराज के बजाए लक्ष्मण सिंह को ही ज्यादा नुक्सान पहुंचा रहे हैं एवं लोकल एरिया में सुषमा स्वराज की हालत ठीक नहीं है। स्वयं शिवराज सिंह चौहान भी इस बार सुषमा स्वराज के लिए उतनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जितनी कि 2009 में दिखाई थी, अत: लक्ष्मण सिंह की जीत की संभावनाएं बढ़ाने के लिए राजकुमार पटेल को पर्चा वापसी के संकेत दे दिए गए।
पर्दे के पीछे की असलियत जो भी हो, फिलहाल कयास तो यही लगाए जा रहे हैं। जल्द ही राजकुमार पटेल की कांग्रेस में ससम्मान वापसी भी हो जाएगी। यह माना जा रहा है।