विनीत माहेश्वरी@रायसेन। इस मामले को यदि आप गौर से पड़ लेंगे तो जिंदगी में कभी सहकारी बैंकों के दरवाजे तक भी नहीं जाएंगे। एक अकाउंट में मात्र 4102 जमा थे और बैंक अधिकारियों ने 21 लाख रुपए निकाल लिए। सवाल यह है कि जब खाते में बैलेंस ही नहीं था तो निकाला क्या? एक अधिकारी महोदय को लोन दिया गया, बिना ब्याज, दोबारा लोन दिया, वो भी बिना ब्याज। और भी कई कमाल हुए इस घोटाले में पढ़िए पढ़िए:—
जिला सहकारी बैंक की सुबह शाम शाखा में हुए करीब ढ़ाई करोड़ रूपए से अधिक गबन के मामले की परतें खुलती जा रही है। बैंक के अधिकारियों द्वारा इस गबन के मामले को बड़े शातिर तरीके से अंजाम दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला सहकारी बैंक की महामाया चौक स्थित सुबह-शाम शाखा में 11 खातों में लाखों की रकम कागजों पर ही जमा कर दी गई जबकि उक्त राशि बैंक में जमा ही नहीं हुई और इसे कागजों में जमा कर ढ़ाई करोड़ रूपए की राशि खातों में से निकाल ली गई और इतनी बढ़ी राशि खातों में जमा कैसे की गई और निकाल ली गई इसकी जानकारी लेना भी बैंक के जिला मुख्यालय ऑफिस ने जरूरत नहीं समझी।
इस गबन के मामले में शिकायत के बाद जांच हुई तो खातों के लेजर में राशि की इन्ट्री मिली लेकिन जमा रसीद के स्लिप बैंक में नहीं मिली जिससे इस गबन के मामले में जांच टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे और बैंक अधिकारियों ने कई दस्तावेज नष्ट कर दिए।
इन खातों मेें हुआ गड़बड़झाला
वैशाली पत्नि कविकांत जायसवाल
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कविकांत जायसवाल |
वैशली जायसवाल बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर कविकांत जायसवाल की पत्नी है। 2010 में 6100 रू .से इनका खाता खुला गया, लेकिन 24 लाख रूपए से अधिक इससे निकाले गए। वैशाली के खाते से यह पैसा कविकांत ने निकाला। इसके भी वाउचर नष्ट कर दिए गए। वैशाली के साइन के बिना ही कविकांत ने लेन-देन किया गया।
विमला पत्नी एसआर जायसवाल
यह खाता तत्कालीन बैंक के शाखा प्रबंधक कविकांत की माता के नाम से 6 जून 2010 में प्रारंभ हुआ और अगस्त 2010 तक इस खाते में कुल 4102 रूपए ही जमा हुए और खाते में से 21 लाख 97 हजार रूपए निकाल लिए गए और खाते के दस्तावेज गायब कर दिए गए। जांच रिपोर्ट में कैशबुक के के अनुसार निकाले गए रूपए कविकांत ने प्राप्त किए और इसमें भी विमला जायसवाल के हस्ताक्षर नहीं थे और कविकांत ने रूपए निकाल लिए।
वर्षा पत्नि राजेश खत्री
वर्षा खत्री का खाता 2 अप्रैल 2008 से खोला गया और खाते में नजर दौड़ाई जाए तो खाते में अप्रैल 2013 को 4 लाख 10 हजार रूपए जमा थे और कैश बुक के अनुसार खाते में से 5 लाख 65 हजार का भुगतान वर्षा को किया गया लेकिन इस खाते से जुड़े दस्तावेज जांच टीम को नहीं मिले।
संजीव दुबे स्थापना तत्कालीन प्रभारी
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संजीव दुबे |
जिला सहकारी बैंक के हैंड ऑफिस में स्थापना प्रभारी का खाता एमई ब्रांच में सन् 1987 से संचालित है और इस खाते में एक दिन में 3 लाख रूपए नगद निकाले गए और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस खाते के बैंक लेजर में लेन देन संबंधी कई एंट्री में बीच बीच में खाली छोड़े गए और खाते की बैंलेस राशि में भी कांट छांट की गई और बैंक के स्थापना प्रभारी होने का रूतबा भी खाते में देखने को मिला जब संजीव दुबे द्वारा वेयर हाउस लोन लिया लेकिन बैंक ने हमदर्दी दिखाते हुए संजीव दुबे से कोई भी ब्याज नहीं लिया गया। संजीब दुबे के अन्य एक परिजन शांति दुबे के नाम भी वेयर हाउस लोन लिया गया और इनसे भी ब्याज नहीं लिया गया और इसी के साथ संजीब दुबे ने राजश्री ट्रेडर्स के नाम से भी खाता खोल लिया गया। जांच रिपोर्ट में संजीब दुबे ने 7 लाख 72 हजार रूपए ब्याज सहित हानि पहुंचाई और 3 लाख रूपए ही जमा कर खाता बंद कर दिया गया। जब मामला प्रकाश में आया तो संजीव दुबे ने आनन फानन में कुछ पैसा जमा कर दिया।
जगदीश पुत्र झगडूलाल
उक्त बचत खाता ब्रांच में 20 जनवरी 2010 में खोला गया इसमें मई 2012 से अप्रैल 2013 तक 12 लाख 70 हजार रूपए निकाले गए लेकिन उक्त खाते के रिकार्ड पूरी तरह नहीं पाए गए। कैश बुक में राशि के प्रमाण नदारत है और रूपए निकाले जाने की प्रवृष्टि नहीं है।
मुकेश पुत्र बालचंन्द्र खत्री
ब्रांच में खाता 2009 में खोला गया इसमें अक्टूबर 2012 से जून 2013 के बीच करीब 1 लाख 72 हजार रूपए फर्जी तरीके से जमा करना दिखाकर निकाल लिया गया और राशि जमा करने के वाउचर नहीं है और केश बुक में भी नगद राशि जमा नहीं है।
गया बाई पत्नी बाबूलाल एवं राजेश खत्री पुत्र बाबूलाल
इस संयुक्त खाते में भी हेराफेरी जांच टीम को दिखी खाता जुलाई 2009 में गया बाई पत्नी बाबूलाल के नाम से संयुक्त खाता खोला गया लेकिन खाते का संचालन सिर्फ राजेश ने ही किया। दिसम्बर 2011 से जनवरी 2013 के बीच उक्त खाते में से 5 लाख 65 हजार निकाले गए। फर्जी राशि जमा कर लेनदेन किया गया।
अमर सिंह पुत्र देवीसिंह
खाता मई 2008 में प्रारंभ हुआ इस खाते में जो रूपए जमा किए गए उनके वाउचर नहीं मिले और खाते में से 8 लाख 90 हजार रूपए निकाले गए और खाते में इतना पैसा जमा ही नहीं हुआ और निकाल लिया गया।
प्रमोद कुमार
उक्त खाता अक्टूबर 2006 में खोला गया दिसम्बर 2012 तक इसमें लेन देन हुआ और दिसम्बर 2009 में पैसा जामा करना बताया गया जबकि जमा पर्चियांउ उपलब्ध नहीं है बिना जमा किए उक्त खाते में 10 लाख 93 हजार रूपए का भुगतान कर दिया गया।
छोटेशाह दीवान सिंह छोटेशाह ने 55 हजार रूपए का चेक दीवान सिंह को जनवरी 2013 में दिया था। इसमें संबंधित रिकार्ड फाड़कर नष्ट कर दिया गया। इसके अलावा खाता क्रमांक 5522 कुमारी सीमा पुत्री तखत सिंह के नाम से था जो 7 फरवरी 2009 को बंद कर दिया गया। दीवान सिंह का खाता ब्रंाच में नहीं था और बैंक में काल्पनिक नाम दर्ज कर दिया और कैश बुक के अनुसार 13 लाख से अधिक राशि बंद खाते में से निकाल ली गई। इसी तरह बैंक अधिकारियों ने अन्य खाता धारक के खाते में से 9 लाख 45 हजार रूपए निकाल लिए ।
इनका कहना है:- करोड़ों रूपए के इस गबन के मामले में पहले तो पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी पर एसपी एवं एएसपी के उक्त मामले में हस्तक्षेप किए जाने के बाद थाना कोतवाली पुलिस ने गबन में दोषी पाए गए तत्कालीन बैंक महाप्रबंधक पीएस धनवाल सहित 4 अन्य पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आगामी कार्रवाई भी पुलिस द्वारा की जाएगी। इसमें मैं नहीं बता सकता कि गिरफ्तारी कब होगी और जिसके के बाद गबन की राशि की रिकवरी और दोषियों को सजा दिए जाने का निर्णय माननीय न्यायालय द्वारा किया जाएगा। हमें कलेक्टर महोदय ने जांच के निर्देश दिए थे उसके परिपालन में जांच की गई जिसमें उक्त मामला उजागर हुआ।
विनोद सिंह उप पंजीयक सहकारी संस्थाए
मामला दर्ज हो सकती जल्द गिरफ्तारी
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रायसेन में वित्तीय वर्ष अप्रेल 2010 से अप्रेल 2013 के मध्य तत्कालीन शाखा प्रबंधक कविकांत जायसवाल, तत्कालीन कैशियर बलवंत सिंह रघुवंशी, तत्कालीन गार्ड/भृत्य सुनील सोनी, स्थापन प्रभारी संजीव कुमार दुबे , एवं जिला सहकारी बैंक महाप्रबंधक पी.एस.धनवाल एवं अन्य द्वारा बैंक अभिलेख में हेराफेरी, धोखाधड़ी, रिकार्ड गायब कर कुल शासन की राशि 3,24,92000/-रूपये का गबन करने संबंधी मामले में एम.एस.राजपूत पुत्र रतन सिंह राजपूत,सह.निरीक्षक एवं सहकारिता विस्तार अधिकारी रायसेन की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली रायसेन ने आरोपियों के खिलाफ धारा 408,409,420,467,468,120-बी भा.दं.वि. का मामला दर्ज कर जांच में लिया है। विश्वनीय सूत्रों की माने तो इस गबन मामले में पुलिस जल्द ही गिरफ्तारी शुरू कर सकती है।