आसाराम के भक्तों ने नहीं, गुर्गों ने रोकी थी ट्रेन

भोपाल। आसाराम की गिरफ्तारी के विरोध में भोपाल में रोकी गई ट्रेन की घटना कोई आंदोलन नहीं बल्कि योजनाबद्ध रणनीति थी। रेल रोकने की पूरी प्लानिंग आसाराम के भोपाल आश्रम में हुई और सूत्रसंचालन आसाराम के गुर्गों के हाथ था। इसमें कुछ अंधभक्तों को भी शामिल कर इसे आंदोलन दिखाने की कोशिश की गई थी।

आसाराम की गिरफ्तारी के खिलाफ उनके समर्थकों ने गुरुवार को रेलवे ट्रैक पर जमकर तमाशा किया। पूरी योजना के साथ ट्रैक और ट्रेन में बैठे समर्थकों ने न सिर्फ अमरकंटक ट्रेन को काफी देर तक रोके रखा। जमकर हंगामा और नारेबाजी की। हंगामा कर रहे समर्थकों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ्तार किया।

आसाराम के समर्थकों ने ट्रेन रोकने की योजना बैरागढ़ स्थित आश्रम में ही बना ली थी। इसके लिए बाकायदा एसएमएस कर लोगों को ट्रेन रोके जाने के लिए एकत्रित किया गया। इसके लिए एक दिन पहले से आश्रम के कुछ लोग बैरागढ़ में सक्रिय होकर लोगों की भीड़ जुटाने में लगे हुए थे।

गुरुवार दोपहर में आश्रम के समर्थक बैरागढ़ से दो मिनी बसों (एमपी 04 एच-4837 और एमपी-36 एफ-0101) प्रभात चौराहे पहुंचे थे। इसके पहले कुछ समर्थक बाइक से भोपाल स्टेशन पहुंच गए थे। वे भोपाल से दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस में बैठ गए। जब ट्रेन फाटक पर पहुंची समर्थकों ने चैनपुलिंग कर ट्रेन रोक दी।

यहां पहले से जमा समर्थक ट्रेन के सामने जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। वहीं, ट्रेन में सवार यात्री आशोक सिंह ने बताया कि आसाराम के समर्थक पहले से ट्रेन में चढ़ गए थे, जिन्होंने चेन पुलिंग की।

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