मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) के अवसर पर डोंगला में भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge Tradition) पर आयोजित कार्यशाला का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारा प्राचीन ज्ञान (Ancient Knowledge) अत्यंत महत्वपूर्ण है। आधुनिक विज्ञान (Modern Science) के साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान का समन्वय करते हुए आज की समस्याओं के समाधान के लिए शासन द्वारा कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने उज्जैन के ऐतिहासिक महत्व, महापुरुषों, और सिंहस्थ स्नान के आध्यात्मिक आनंद का भी वर्णन किया।
India Time Calculation Center - उज्जैन डोंगला काल गणना केंद्र
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन जिले का डोंगला काल गणना केंद्र (Time Calculation Center) देश में एक विशिष्ट स्थान रखता है। डोंगला को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करने के साथ-साथ यहां स्थापित वेधशाला (Observatory) के आधुनिकीकरण के लिए समय-समय पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को डोंगला में “खगोल विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा” (Astronomy and Indian Knowledge Tradition) पर केंद्रित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
काल गणना केंद्र क्या है? डोंगला की विशेषता
काल गणना केंद्र वह स्थान है जहां समय की गणना (Time Calculation) और खगोलीय घटनाओं (Astronomical Events) का अध्ययन प्राचीन और आधुनिक वैज्ञानिक विधियों से किया जाता है। भारत में, यह केंद्र सूर्य, चंद्रमा, और ग्रहों की गति के आधार पर पंचांग (Hindu Calendar) और ज्योतिषीय गणनाओं (Astrological Calculations) के लिए महत्वपूर्ण हैं। डोंगला का केंद्र प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान (Indian Astronomy) और आधुनिक तकनीक का समन्वय करता है।
उज्जैन की डोंगला वेधशाला: Astronomy और Time Calculation केंद्र
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन के साथ-साथ डोंगला भी काल गणना (Time Calculation) का महत्वपूर्ण केंद्र है। डोंगला के विकास और आधुनिकीकरण के लिए समय-समय पर कार्य किए जाएंगे। डोंगला की महत्ता सर्वविदित है, और राज्य सरकार वैज्ञानिक प्रबंधन (Scientific Management) तथा शोध (Research) के लिए कटिबद्ध है। प्राचीन भारतीय ज्ञान (Indian Knowledge System) पर और अधिक रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।
भारत और विश्व में काल गणना केंद्र
भारत में उज्जैन, जयपुर, दिल्ली, और वाराणसी जैसे शहरों में प्राचीन वेधशालाएं (Observatories) हैं, जो काल गणना के केंद्र के रूप में कार्य करती हैं। उज्जैन को प्राचीन काल से काल गणना का केंद्र माना जाता है, क्योंकि यह कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर स्थित है। विश्व स्तर पर, ग्रीनविच (Greenwich Observatory, UK) और वाशिंगटन डीसी जैसे स्थान समय गणना के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि, भारत के केंद्र खगोलीय और धार्मिक गणनाओं (Astronomical and Religious Calculations) के लिए अद्वितीय हैं।
उज्जैन डोंगला की विशेषता
डोंगला वेधशाला (Dongla Observatory) में शंकु यंत्र (Sundial) जैसे प्राचीन उपकरणों के साथ आधुनिक तकनीक का उपयोग होता है। 21 जून को सूर्य की किरणें यहां लंबवत पड़ती हैं, जिससे छाया नहीं बनती। यह खगोलीय अध्ययन (Astronomical Study) और समय गणना के लिए अद्वितीय है।
डोंगला वेधशाला: भारतीय Time Calculation और Astronomy का गौरव
विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. शिवकुमार शर्मा ने कहा कि डोंगला भारतीय काल गणना (Indian Time Calculation) का महत्वपूर्ण केंद्र है। भारतीय काल गणना में सूक्ष्म गणना (Micro Calculations) को महत्व दिया जाता है। डोंगला में प्राचीन भारतीय विरासत (Indian Heritage) और विज्ञान आधारित ज्ञान (Science-Based Knowledge) देखने को मिलता है। वैज्ञानिक डॉ. जी. श्रीनिवासन ने राज्य शासन के विज्ञान क्षेत्र में कार्यों की सराहना की। डॉ. अरविंद रानाडे ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में सराहनीय कदम उठाए गए हैं। अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे ने बताया कि मध्यप्रदेश में खगोल विज्ञान (Astronomy), खगोलीय भौतिकी (Astrophysics), और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) के सामंजस्य पर कार्य हो रहा है।
डोंगला का वैश्विक महत्व
डोंगला को वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला (Varahmihir Observatory) के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो खगोल विज्ञान (Astronomy) और भारतीय ज्ञान परंपरा का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनेगा। यह ग्रामीण बच्चों को डिजिटल तारामंडल (Digital Planetarium) के माध्यम से ब्रह्मांड का अनुभव प्रदान करेगा।
काल गणना केंद्रों की संख्या:
भारत में उज्जैन (डोंगला और जीवाजीराव वेधशाला), जयपुर (जंतर मंतर), दिल्ली (जंतर मंतर), वाराणसी (मान मंदिर वेधशाला), और मथुरा में प्राचीन वेधशालाएं हैं। विश्व में, ग्रीनविच (UK), पेरिस (France), और बीजिंग (China) में समय गणना केंद्र हैं। सटीक संख्या निर्धारित करना कठिन है, क्योंकि कई केंद्र स्थानीय स्तर पर कार्य करते हैं।
उज्जैन डोंगला की खासियत:
- कर्क रेखा पर स्थित होने के कारण सूर्य की गति का सटीक अध्ययन संभव।
- शंकु यंत्र, भित्ति यंत्र, और नाड़ीवलय यंत्र जैसे उपकरणों से समय और दिशा की गणना।
- प्राचीन खगोलशास्त्री वराहमिहिर की विरासत को संरक्षित करने वाला केंद्र।
- डिजिटल तारामंडल और शोध केंद्र के रूप में विकास।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को अंतरिक्ष विज्ञान की इतनी जानकारी कैसे है?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science) और खगोल विज्ञान (Astronomy) में रुचि और जानकारी उनके शैक्षणिक पृष्ठभूमि, व्यक्तिगत रुचि, और उनके द्वारा किए गए कार्यों से समझी जा सकती है। हालांकि, उनके पास अंतरिक्ष विज्ञान में औपचारिक विशेषज्ञता नहीं है, लेकिन उनकी गतिविधियां और बयान इस क्षेत्र में गहरी रुचि और जागरूकता दर्शाते हैं। इसके पीछे कई कारण है:
1. डॉ मोहन यादव की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
शिक्षा: डॉ. मोहन यादव ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से बी.एससी. (Bachelor of Science), एल.एल.बी., एम.ए. (राजनीति विज्ञान), एम.बी.ए., और पीएच.डी. की डिग्रियां प्राप्त की हैं। उनकी विज्ञान स्नातक (B.Sc.) की पृष्ठभूमि उन्हें वैज्ञानिक विषयों, विशेष रूप से खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान, के प्रति जागरूक बनाती है।
दृष्टिकोण: उनकी शैक्षणिक यात्रा और पीएच.डी. जैसी उच्च डिग्री यह दर्शाती हैं कि वे अनुसंधान और तार्किक दृष्टिकोण को महत्व देते हैं। यह दृष्टिकोण उन्हें जटिल वैज्ञानिक विषयों को समझने और उन पर चर्चा करने में सहायता करता है।
2. उज्जैन की ऐतिहासिक खगोलीय विरासत
उज्जैन प्राचीन काल से खगोल विज्ञान और काल गणना (Time Calculation) का केंद्र रहा है। यह कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर स्थित है, जिसके कारण यह खगोलीय अध्ययन के लिए आदर्श स्थान है। प्राचीन खगोलशास्त्री वराहमिहिर और महाराजा जय सिंह द्वारा स्थापित वेधशालाएं (Observatories) उज्जैन की वैज्ञानिक विरासत का हिस्सा हैं। और उज्जैन, डॉ मोहन यादव का घर है।
उज्जैन दक्षिण से विधायक होने के नाते, वे इस क्षेत्र की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़े हैं। यह उनकी खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी को बढ़ाने में सहायक रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने डोंगला में अत्याधुनिक तारामंडल का लोकार्पण किया
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को उज्जैन जिले के डोंगला में अत्याधुनिक वराहमिहिर तारामंडल का लोकार्पण किया। इस आधुनिक तारामंडल में खगोल विज्ञान के रहस्यों के बारे में डोंगला आने वाले बच्चो और अगुंतको को 4k फिल्म के माध्यम से जानकारी दी जायेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वराहमिहिर वेधशाला तारामंडल में बच्चों के साथ बैठकर सूर्य विकिरण और उसके तरंगों के अध्ययन पर आधारित फिल्म को भी देखा। उल्लेखनीय है कि आचार्य वराहमिहिर न्यास द्वारा अवादा फाउण्डेशन के आर्थिक सहयोग एवं डीप स्काई प्लेनेटेरियम, कोलकाता के तकनीकी सहयोग से डोंगला में अत्याधुनिक डिजीटल तारामंडल की स्थापना की गई है।
तारामंडल में डिजीटल प्रोजेक्टर एवं डिजीटल साउण्ड सिस्टम भी लगाया गया हैं। इस वातानुकूलित गोलाकार तारामण्डल में 55 लोग एक साथ बैठकर रोमांचक अनुभव ले सकेंगे। इस तारामण्डल की लागत लगभग 1.6 करोड़ रूपये हैं।