
सोनम के मुताबिक उसे किसी का फोन नंबर तक नहीं मालूम, जिससे फोन व पर्स के बारे में पूछ सके। न ही उसे यह याद है कि विवाद के दौरान उसका फोन गिर गया था या किसी ने छीन लिया था। कलेक्ट्रेट में हुए विवाद के दौरान हुए घटनाक्रम को याद कर वह बदनामी होने के डर से बार-बार सुबकने लगती है। सगी मां और मौसी के व्यवहार से सोनम के मन पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस कारण अब तक मोबाइल, एटीएम और पर्स चोरी की एफआईआर तक नहीं लिखाई है। युवती अपने परिजनों पर मारपीट के मामले में भी शिकायत को लेकर भी फैसला नहीं ले पा रही है।
3 जनवरी को भी टल सकती है शादी
सोनम की शादी के लिए एडीएम कोर्ट ने 3 जनवरी की तारीख तय कर दी है। युवती फिलहाल घर से अलग होकर निर्भया महिला आश्रम में रह रही है। लेकिन इस दिन भी शादी हो पाना संभव नहीं हैं। क्योंकि युवती की मां ने गुरुवार को एडीएम कोर्ट में युवक द्वारा खुद को हिंदू बताने वाले शपथ-पत्र पर आपत्ति दर्ज कराई है। युवती की मां ने लिखित आपत्ति में इस युवक के शपथ-पत्र को झूठा बताया है।
एडीएम ने इस शपथपत्र की जांच एसपी दक्षिण को सौंपते हुए 10 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि युवती की मां ने युवक के क्रिश्चियन होने और बेटी का धर्मांतरण कराने के लिए शादी करने का आरोप लगाया था इसके बाद युवक के वकील राबर्ट एंथोनी ने उसके हिंदू होने का दावा करते हुुए शपथ-पत्र दिया था। 3 जनवरी को युवती के परिजनों की आपत्ति के साथ ही युवक का भी पक्ष सुना जाएगा। फिर से कोई विवाद ही स्थिति न बने, इसलिए एडीएम कोर्ट में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं।
क्या है मामला
प्रेमी युगल ने 23 नवंबर को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत एडीएम रत्नाकर झा के कोर्ट में शादी के लिए आवेदन दिया था। एक महीने का समय गुजरने के बाद 26 दिसंबर को शादी होना थी, लेकिन हमीदिया अस्पताल में एडीएम की ड्यूटी के कारण शादी की तारीख अगले दिन तक के लिए बढ़ाई दी गई थी। 27 दिसंबर को जब युवक-युवती दोनों अपने परिजनों के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे, तो युवती की मां और मौसी ने एसएसपी दफ्तर के बाहर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। पिटाई से बचने के लिए जब युवती कलेक्टोरेट की ओर भागी तो परिजन उसको मारते हुए एडीएम रत्नाकर झा के दफ्तर में जा घुसे गए थे। इस दौरान युवती के कपड़े बुरी रह फट गए थे।
कलेक्ट्रेट में तमाशा देखते रहे लोग, किसी ने नहीं किया बीच बचाव
अफसोस की बात यह है कि दो दिन पूर्व हुए घटनाक्रम के दौरान बड़ी संख्या में लोग कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी बीच-बचाव नहीं किया। उल्टे लोग मारपीट का चाव से तमाशा देखते रहे।