कर्मचारी का प्रमोशन रिवर्ट करना सजा नहीं: हाईकोर्ट

जबलपुर। हाईकोर्ट ने प्रशासनिक स्तर पर प्रमोशन देने में हुई गलती के मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि नियम विरुद्ध या अवैध तरीके से दिए गए प्रमोशन को बाद में रिवर्ट करना सजा की परिधि में नहीं आता। इस तरह दिया गया प्रमोशन एक प्रशासनिक त्रुटि है जिसे सुधारा गया है।

एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस अनुराग श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में संबंधित कर्मचारी को ऐसा समझने या मानने की जरूरत नहीं है कि उसे कदाचरण के चलते पदावनत कर सजा दी गई है या उसके साथ अन्याय हुआ है। 

जिला एवं सत्र न्यायालय विदिशा में कार्यरत लक्ष्मी नारायण यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि मूल रूप से उसकी नियुक्ति भृत्य के पद पर हुई थी। जिला न्यायाधीश ने 27 जुलाई 2010 को उसे प्रमोशन देकर ड्राइवर बना दिया। करीब 3 माह बाद 28 अक्टूबर 2010 को पदोन्नति आदेश को रिवर्ट कर उसे पुन: प्यून बना दिया गया। यादव ने दलील दी थी कि मप्र सिविल सर्विस कंडक्ट रूल 1965 के तहत एक बार प्रमोशन देकर उसे रिवर्ट करना सजा माना जाता है।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!