मप्र का खूनी रास्ता NH 3: एक साल में 136 मौतें

अरविंद पांडेय/नईदिल्ली। यदि आप मध्य प्रदेश के एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग)-3 से होकर गुजर रहे है, तो आपको भगवान ही बचाए, क्योंकि यह एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) मौत का कब्रगाह बन गया है। वर्ष 2014 में अकेले मप्र के इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर 136 लोगों की मौतें हो चुकी है। जिसे देखते हुए सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस एनएच के दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को नए सिरे चिन्हित किया है। खास बात यह है कि इन एनएच में ज्यादातर हादसे गुना, शिवपुरी और ग्वालियर जिलों में हुए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे अधिक 49 मौतें अकेले गुना जिले में हुई है। यही वजह है कि मंत्रालय ने इन जिलों में एनएच- 3 पर दस नए एक्सीडेंटल प्रोन (संभावित दुर्घटना क्षेत्र) चिन्हित किए है। इसके अलावा मप्र से होकर गुजरने वाले एनएच-75 व एनएच-54 आदि पर भी नए एक्सीडेंटल प्रोन एरिया तय किया गया है। मंत्रालय के मुताबिक चिन्हित किए गए इन जगहों पर अब सुरक्षा के पर्याप्त बंदोवस्त किए जाएंगे, ताकि हादसों को रोका जा सके।

मप्र के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 29 जगह खतरा
मंत्रालय की ओर से जारी सूची में मप्र के अलग-अलग 11 राष्ट्रीय राजमार्गों पर 29 दुर्घटना स्थल चिन्हित किया है। इनमें सबसे अधिक एनएच-3 पर करीब 10 स्थल है। जबकि एनएच-54 पर दो, एनएच-75 पर चार, एचएन-7 पर दो, एनएच-12 पर तीन , एनएच-59, 76, 26, 27 व 86 पर भी एक-एक स्थल चिन्हित किए गए है। 
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