मप्र के 10000 सिपाहियों को प्रमोशन का इंतजार

भोपाल। प्रदेश के पुलिस महकमे में 10 हजार से अधिक आरक्षक पदोन्नति के इंतजार में हैं लेकिन किसी न किसी वजह से इस काम में देरी हाे रही है। कभी पदों की कमी तो कभी कोई अन्य वजह बताकर इन्हें समय पर प्रधान अारक्षक पद पर प्रमोशन नहीं मिल रहा है। विभाग के नियमानुसार आठ साल की सेवा के बाद आरक्षक से प्रधान आरक्षक पद पर पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद भोपाल में 1997 बैच के आरक्षकों की पदोन्नति हुई, तो ग्वालियर में 1981 बैच के आरक्षकों को ही प्रमोशन मिल पाया है। 

नियमों में विसंगति 
विभाग में आरक्षकाें और अन्य पदों के लिए अलग-अलग पदोन्निति नियम बनाए गए हैं। सब इंस्पेक्टर से लेकर आईपीएस अफसर तक के प्रमोशन के लिए प्रदेश में एक ही वरिष्ठता सूची बनाई जाती है। लेकिन आरक्षकों के मामले में जिलेवार सूची बनती है। इसमें किस जिले में कितने पद रिक्त हैं, इसका ध्यान रखा जाता है। प्रदेश के विभिन्न थानों में 10 हजार से अिधक आरक्षक पदस्थ हैं। गृह विभाग सब इंस्पेक्टर व अन्य बड़े पदों पर तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों को नियमानुसार पदोन्नति दे रहा है, लेकिन आरक्षकों के प्रमोशन हर साल अटका दिए जाते हैं। लेट-लतीफी के कारण पदोन्नति से वंचित आरक्षक मानसिक तनाव झेल रहे हैं। इसके अलावा कम वेतन के रूप में आर्थिक हानि भी हो रही है। 

इसके अलावा अक्टूबर 2015 में जारी की गई आरक्षकों की प्रमोशन लिस्ट में अधिकांश ऐसे आरक्षक हैं, जो 1-2 वर्ष में ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। डीबी स्टार ने जब इस बारे में गृहमंत्री बाबूलाल गौर और ग्वालियर रेंज आईजी आदर्श कटियार से बात की, तो उन्होंने पद रिक्त न होने की बात कहकर टाल गए। 
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