स्कॉलरशिप घोटाला: हजम की गई रकम वापस लौटा रहे हैं कॉलेज

भोपाल। स्कॉलरशिप घोटाले की जांच शुरू होते ही कॉलेजों में खलबली मच गई है। कार्रवाई से बचने के लिए कॉलेज खुद ही स्कॉलरशिप की रकम वापस लौटा रहे हैं। अकेले जबलपुर में अब तक 42 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा कराए जा चुके हैं। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। ग्राफ कहां जाकर रुकेगा कहा नहीं जा सकता। जरा सोचिए, अकेले जबलपुर में यह हाल है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्या होगा।

  • ये कॉलेज और इतने छात्रों की रकम वापस
  • लक्ष्मीबाई साहूजी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग जबलपुर ने 5 छात्र की रकम दी।
  • सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्निकल जबलपुर ने 46 छात्रों की रकम लौटाई।
  • श्री राम इंजीनियरिंग कॉलेज ने 5 छात्रों की रकम वापस की।
  • सेंट अलायसियस कॉलेज ने 15 छात्रों की रकम जमा कराई।
  • श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ने 2 छात्र की रकम दी।
  • तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज ने 3 छात्रों की रकम वापस लौटाई।
  • राधास्वामी इंजीनियरिंग कॉलेज ने 47 छात्रों की रकम जमा कराई।


  • एक साल की रकम ही लाखों में
  • अल्पसंख्यक विभाग ने अपने स्तर पर साल 2013-14 में हुए स्कॉलरशिप घोटाले की जांच लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू से पहले ही शुरू करा दी थी।
  • इस जांच में 250 छात्रों के नाम सामने आए।
  • इनमें से 100 छात्र तो ऐसे थे जिनके नाम आसपास के जिलों में भी दर्ज रहे और उन्होंने एक ही साल में दो जिलों से छात्रवृत्ति का फायदा उठाया।
  • पिछले कुछ हफ्तों में 61 छात्रों के नाम पर निकाले गए 14 लाख रुपए वापस किए गए हैं।
  • इससे पहले 125 छात्रों के 28 लाख से ज्यादा की रकम भी कॉलेज प्रबंधन विभाग को दे चुका है।


अभी ढाई हजार की जांच चल रही
अल्पसंख्यक विभाग साल 2012-13 में ढाई हजार ओबीसी छात्रों को जारी की गई छात्रवृत्ति की जांच कर रहा है। हालांकि ये जांच लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू भी अपने स्तर पर कर रहे हैं। आने वाले दिनों में कॉलेजों की ओर से करोड़ों रुपए वापस होने की संभावना है।

दूसरी तरफ आदिवासी विकास विभाग से एससी-एसटी छात्रवृत्ति की जांच भी की जा रही है लेकिन विभाग को अब तक 8 लाख रुपए ही कॉलेज वालों ने वापस लौटाए हैं। इनके छात्रों की संख्या भी हजारों में होने वाली हैं।

घोटाला ऐसे समझें
अधिकांश इंजीनियरिंग, पैरामेडिकल, पॉलीटेक्निक कॉलेजों के अलावा तकनीकी कॉलेजों में इन छात्रों का एडमिशन बड़े पैमाने पर होता आया।

छात्रवृत्ति पाने वाले एक छात्र का नाम दो या ज्यादा कॉलेज में दर्ज किया जाता रहा। वहीं जो छात्र नहीं थे और उनका एडमिशन दिखाकर छात्रवृत्ति निकाली जाती रही।

एक साथ कई छात्रवृत्ति लेने वालों की संख्या बढ़ते चली गई। कुछ की शिकायतें साल 2011 के पहले हुई और कुछ मामले साल 2013-14 में सामने आए।

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विभाग ने पहले ही अपनी जांच में कई कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की है। आगे भी जांच की जा रही है। जिसमें कॉलेजों से रकम वापस ली जाएगी।
जेएस विलसन, सहायक संचालक अल्पसंख्यक विभाग
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