मेरे पति घुग्घु हैं और घुग्घु रहेंगे: सुसाइड नोट में रेणुका ने लिखा

भोपाल। डीबी सिटी मॉल में जाकर सुसाइड करने वाली प्रख्यात कारोबारी की प​त्नी रेणुका मित्तल का पूरा सुसाइड नोट सामने आ गया है। सुसाइड नोट पूरी तरह से एक कहानी स्पष्ट कर रहा है कि किस तरह संभ्रांत परिवारों में भी बेटी को जन्म देने वाली महिला को प्र​ताड़ित किया जाता है। दूसरी तरह परिवार में कमजोर पति और पिता के रवैए को भी इंगित करता है। पढ़िए क्या कुछ लिखा है रणुका ने अपने पूरे परिवार के बारे में। रेणुका ने सुसाइड नोट के लिए अपनी बेटी की स्कूल की कॉपी का उपयोग किया। कॉपी के आठ पेजों पर बाकायदा नंबर डालकर जिस तरह जीवन की दास्तां लिखी गई है, उससे नोट एक बार में लिखा नहीं लगता। उसे जब भी समय मिला तब पेंसिल से लिखा गया। 

मुझसे अब बिल्कुल सहन नहीं होता
घर में मुझे शुरू से ही एक कठपुतली बनाकर रखा है। जो सिर्फ घर में काम करने के लिए है। सास मेरे से पूरे घर के लेटरिन और बाथरूम साफ करवाती है। घर के चादर, पर्दे अगर में धोने के लिए न निकालू तो वह ऐसे की पड़े रहते हैं। कोई उनको धोता तक नहीं है। रेणुका ने एक स्थान पर लिखा है कि वह पिता को सब कुछ बताती तो वह उसको अपने पास नहीं रखते। उसके पास खुदकुशी करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

मेरे बच्चियों को डीपीएस में पढ़ाने पैसा नहीं है
मेरे देवरानी का बेटा डीपीएस में पढ़ता है। जबकि मेरी बड़ी बेटी कान्वेंट स्कूल में पढ़ती है। जब मैंने अपने बच्ची का एडमिशन डीपीएस में कराने की बात की थी तो सब ने कंजूसी दिखा दी। साफ बोल दिया डीपीएस बहुत महंगा और बहुत दूर है। ठीक है मैंने कुछ नहीं कहा और मान लिया कि कान्वेंट भी अच्छा स्कूल है। लेकिन देवर के बेटे को डीपीएस में एडमिशन कराने के लिए सास ने ससुर से झूठ बोलकर पैसे दिला दिए।

सुबह पांच से रात साढ़े बारह बजे तक चेन नहीं
सुबह पांच बजे में सोकर उठती हूं। जबकि मेरे ससुर दोपहर में 12 बजे जागते हैं। सास आराम से आठ बजे सो कर उठती है। उसके बाद अपने पूजा के कमरा साफ करने के बाद आराम से नहाती हैं और दोपहर तक पूजा करती हैं। देवरानी अपने कमरे से निकलती तक नहीं है। ससुर के दुकान जाते ही देवर शाम का नास्ता करने आ जाते हैं। बच्चों के स्कूल से आने के बाद उनको दूध देना और खाना सब मैं करती हूं। रात बारह बजे तक चाय, नास्ता इसी में लगी रहती हूं।

प्रेगनेंसी के समय भी नहीं दिया ध्यान
मेरे प्रिगनेंट होने के कारण सीढ़ियां चढ़ने उतरने से मुझे काफी परेशानी हुई, लेकिन किसी ने मेरे पर ध्यान नहीं दिया। जबकि डॉक्टर ने मेरे पति को साफ बोल दिया था कि इसको अस्पताल में भर्ती करवाओ या फिर घर पर आराम करने दो। तब भी मेरा किसी ने ख्याल नहीं रखा। मेरे पैरों में आठवें महीने में इतनी सूजन थी कि मैं बता नहीं सकती हूं। मुझे रोना आ जाता है। इस परिवार में किसी का खाने पीने का कोई टाइम टेबल नहीं है। खाना ही चार बजे तक चलता है।

बच्चों पर कोई ध्यान नहीं
मेरी सास और देवरानी पूरा दिन बैठी रहती है। उनको कोई काम नहीं है। सारा दिन गपशप और मस्ती में निकाल देती है। जबकि सास की घूमने-फिरने, किटी और सत्संग के नाम पर तबियत ठीक हो जाती है, नहीं तो सारा दिन बीपी बढ़ा रहता है। इधर, देवरानी को अपने कमरे में साफ सफाई और बैरायटी के खाने बनाने के अलावा कोई काम नहीं है। दोपहर दो से ढाई घंटे सोती है। इसके बाद भी सास उससे कुछ नहीं कहती है।

बस काम करते रहो तो अच्छे हो
मैंने खुब भलाई करके देख ली। सास को खुश करने के लिए सुबह से खूब काम किया, लेकिन उनके चेहरे पर मेरे नाम से खुशी नहीं आती है। उनके लिए सारा दिन काम करते जाओ। जबकि देवरानी और सास का कमरा किचिन के पास है और मेरा ऊपरी मंजिल पर इसके बाद भी पानी, चाय और खाने के लिए मुझे ही नीचे ऊपर होना पड़ता है।

मेरे मायके का पैसा दिखता है
इन लोगों को मेरे मायके का पैसा दिखता है। कभी भी खर्चे के लिए पैसे नहीं देते हैं। राखी या किसी त्योहार पर जाने के लिए पैसे नहीं देते हैं। देवर ने देवरानी को नया मोबाइल दिलवा दिया है। जबकि मुझे यह बोला जाता है कि उसने मोबाइल अपने लिए लिया है, लेकिन उसमें सिम तो देवरानी की डली है। देवर- देवरानी तीन साल में कुल्लू मनाली और कश्मीर तीन बार घूम आए हैं तो फिर मेरे लिए इतनी कंजूसी क्यों।

मेरे पति घुग्घु हैं और घुग्घु रहेंगे
मेरे पति काफी अच्छे हैं, 12 साल में लिखते-लिखते सहन शाक्ति खत्म हो गई है। मेरे पति मेरे साथ है, लेकिन परिवार के सामने कुछ कह नहीं कह पाते हैं। मेरे साथ मेरी सास क्या-क्या करती है। उसकी गवाह मेरी नौकरानी भगवती है। मेरे पति एक तरह से घुग्घु हैं और घुग्घु रहेंगे। पत्नी मर जाए तो मर जाए पर मां और पिता से कुछ नहीं कहेंगे। मुझे तो अब यह लगने लगा है कि मैं मर जाऊंगी तो उसके बाद मेरी बेटियों का क्या होगा। देवरानी और उसकी बहू मेरी बेटियों से काम करवाएगी।

मेरी देवरानी के लड़का है
मेरी देवरानी के लड़का है तो सास कुछ नहीं कती है। उसकी बहन की पैसों वालों में शादी हुई है। साथ ही उसकी सास अच्छी है। इसलिए सास उसके सामने अच्छा बनती हैं। मेरी सहन शाक्ति खत्म हो रही है। मेरे सास- ससुर मरने के बाद मेरी देवरानी खुशबू तो मुझे नौकरानी बनाकर रखेगी।

पुलिस ऐसा सबक सिखाए जिससे सभी सासों को सबक मिले
रेणुका ने पुलिस से निवेदन किया है कि मेरी सास को ऐसा सबक सिखाए की समाज की सभी सासों को सबक मिले और वह बहुओं के साथ प्रेम से रहे। आगे और भी बाते हैं लेकिन उनको लिखा नहीं जा सकता है। इस पत्र की 5 कॉपियों और करवाकर दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजी हैं। ताकी ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता चल सकें। मेरी सास को जेल होना चाहिए, तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। ननद और देवर का कोई दोष नहीं है।

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