कोड ऑफ कंडक्ट के बावजूद कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए: हाईकोर्ट

नई दिल्ली। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि कोड ऑफ कंडक्ट के ऐलान पश्चात भी कोर्ट के आदेशों की पालना होगी। एक मामले में कोड ऑफ कंडक्ट के ऐलान के बाद कोर्ट के आदेशों को लागू करने के विवाद को खत्म करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। याची राजिंद्र सिंह व अन्यों ने पटियाला के रोहर जगीर गांव में जमीन के महत्वपूर्ण हिस्से में अतिक्रमण के मामले में अवमानना याचिका दायर की थी। मामले में शुरूआती याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने पटियाला के डी.सी. समेत अन्यों को आदेश दिए थे कि आवश्यक उपाय करने से पहले तथ्यों का तय समयावधि में पता लगाएं।

अवमानना याचिका मुताबिक आदेशों की पालना नहीं हुई। सरकार ने कोड ऑफ कंडक्ट को आधार बनाते हुए कहा कि आदेशों की पालना नहीं हो सकी। डी.सी. ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पर अस्थायी रूप से कार्रवाई रोकने के पीछे इलैक्शन कमीशन के निर्देशों का हवाला दिया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई दौरान कहा कि अनुच्छेद 226 के अंतर्गत रिट  कोर्ट की शक्तियों के संदर्भ में यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने भी सुनवाई दौरान कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (फ्रिक्वैंटली आस्क्ड क्वश्चयन) में साफ है कि चुनाव आयोग के संदर्भ के बिना मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के अंतर्गत भी रिट कोर्ट के आदेशों की पालना जरूरी है। वहीं चुनाव आयोग ने भी अपने एफिडेविट में कहा कि अथॉरिटी हाईकोर्ट के आदेशों की पालना के लिए बाध्य थी, यदि आदेश चुनावी प्रक्रिया में बाधा पैदा नहीं करते। 

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