पशु वध पर मोदी सरकार के प्रतिबंध पर हाईकोर्ट का स्टे

नई दिल्ली। मांस के लिए बाजारों से मवेशियों की खरीद या बिक्री पर केंद सरकार लगाए गए प्रतिबंध पर मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बैंच ने रोक लगा दी है। मदुरै बैंच ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को 4 हफ्तों में जवाब देने को कहा है। केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि किसे क्या खाना है ये किसी भी व्यक्ति का मूल अधिकार है। केंद्र सरकार ने देश में गोरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि अब देश के अंदर किसी भी पशु बाजार में कत्लखानों के लिए मवेशियों की खरीद या बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई कर दिया है। इस नोटिफ़िकेशन का मक़सद मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद- बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के खिलाफ क्रूरता रोकना है। इस नोटिफ़िकेशन के बाद नियमों के मुताबिक मवेशी को बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है।

इसके लिए खरीदने और बेचने वाले दोनों को एनिमल मार्केट कमिटी के मेंबर सेक्रेटरी को एक अंडरटेकिंग देना पड़ेगा. बिना राज्य मवेशी संरक्षण कानून की मंजूरी के खरीदार मवेशी को राज्य के बाहर भी नहीं बेच सकेगा. मोदी सरकार ने तीन साल पूरे होते ही गो हत्या को रोकने के लिए क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं, मतलब साफ़ है कि मोदी सरकार विकास ही नहीं, बल्कि विचारधारा पर भी काम करते हुए दिखना जरूरी समझती है.

फैसले पर बड़ा विवाद 
पशु मेलों में मवेशियों की बिक्री पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध के बाद खास तौर पर दक्षिण भारत के राज्यों में इस फैसले का तीखा विरोध देखने को मिल रहा है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सरकार के इस फैसले को खाने की आजादी और राज्यों के अधिकारों में दखल बताया है. वहीं दूसरी तरफ फैसले के विरोध में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक तौर पर गोवंश का वध कर दिया. इसको लेकर देश में राजनीति गर्म है.

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