भोपाल। सीएम हेल्पलाइन में फर्जी निराकरण की शिकायतें तो लगातार बढ़ ही रहीं हैं, बावजूद इसके शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। पूरे प्रदेश में 40 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग हैं। सीएम हेल्पलाइन अब असंतोष का कारण बनती जा रही है।
प्रदेश के आम नागरिकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन प्रारंभ की गई थी, परंतु इसमें समस्याओं के निराकरण की गति कुछ अधिक धीमी है। ताजा जानकारी के अनुसार हेल्पलाइन में प्रदेश के 51 जिलों में दर्ज हुई कुल 40252 शिकायतें लंबित हैं, जिसमें भोपाल पहले नंबर पर है और इंदौर जिला दूसरे स्थान पर है।
सीएम हेल्पलाइन के जिलावार पेंडिंग आंकड़े बताते हैं कि भोपाल कलेक्टर निशांत वरवड़े के जिले में 3488 शिकायतें लंबित हैं, जिसमें अकेले 1284 मामले तहसील स्तर पर लंबित हैं। इसके अलावा 1132 केस जिला स्तर और 326 मामले संभाग स्तर पर निराकरण के इंतजार में हैं।
यहां के 746 केस मंत्रालय स्तर पर अटके हुए हैं। लंबित शिकायतों के मामले में दूसरे नम्बर पर कलेक्टर पी. नरहरि का इंदौर जिला है। यहां 2516 केस पेंडिंग हैं जिसमें 972 तहसील, 1028 जिला एवं 290 संभाग स्तर पर लंबित हैं। यहां के 226 केस मंत्रालय और डायरेक्ट्रेट स्तर पर निराकरण का इंतजार कर रहे हैं।
सागर कलेक्टर अशोक कुमार सिंह के जिले में सीएम हेल्पलाइन की 2456 और रीवा कलेक्टर राहुल जैन के जिले में 2317 शिकायतें नहीं निराकृत हो पाई हैं। इन जिलों के अलावा जिन जिलों में एक हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं, उनमें से कलेक्टर जेके जैन के रायसेन में 1126, कलेक्टर आनंद शर्मा राजगढ़ के जिले में 1054, उज्जैन कलेक्टर कवीन्द्र कियावत के क्षेत्र में 1254, सतना कलेक्टर एसके मिश्रा के इलाके में 1103, शिवपुरी कलेक्टर राजीव दुबे के जिले में 1649, ग्वालियर कलेक्टर डॉ.संजय गोयल के इलाके में 1484 तथा भिंड कलेक्टर मधुकर आग्नेय के जिले में 1714 केस पेंडिंग हैं।
मुख्यमंत्री चौहान द्वारा शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया पर लोगों को खासा भरोसा है। इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री खुद भी इसकी समीक्षा करते हैं। कई बार मुख्यमंत्री सीधे शिकायतकर्ताओं से संवाद कर यह जानने की कोशिश करते हैं कि उनकी शिकायत निराकरण की गलत रिपोर्टिंग तो नहीं की जा रही है।
जानकारी के अनुसार हेल्पलाइन में शासन स्तर पर 3274 मामले पेंडिंग हैं। इनका निराकरण करने में अफसर गंभीर नहीं हैं। यहां शिकायत करने वालों की शिकायत पर अमल के लिए शासन ने चार स्तर बना रखे हैं जिसे लेवल-1 से लेवल -4 तक चिन्हित किया गया है। लेवल -1 की कुल पेंडेंसी 20028, लेवल-2 की 12945, लेवल-3 की 4005 और लेवल -4 की लंबित शिकायतें सवा तीन हजार से अधिक हैं।