भोपाल। मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल का 10वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों का एक साथ एलान करने का दावा अब पूरा होता नहीं दिख रहा है. दोनों ही परीक्षाओं में उत्तर पुस्तिका को जांचने का काम काफी पिछड़ गया है. इसकी वजह शिक्षा मंडल के नए नियम है, जिसके तहत निजी स्कूल के शिक्षक के पास मूल्यांकन का 10 वर्ष का अनुभव होना जरूरी है. नए नियम की वजह से शिक्षकों की कमी हो गई है और मूल्यांकन कार्य लगातार पिछड़ता जा रहा है.
शिक्षकों की कमी के चलते बोर्ड परीक्षाओं का मूल्यांकन कार्य पिछड़ रहा है. मूल्यांकन कार्य के लिए बोर्ड के बनाए नए नियम अब उसके लिए ही भारी साबित हो रहे है. बोर्ड ने इस बार कॉपियों की चेकिंग में प्राइवेट शिक्षकों के लिए नय नियम निर्धारित किए है, जिसमें निजी स्कूल के शिक्षकों के पास एक ही स्कूल में 10 साल का काम करने का अनुभव होना जरूरी हैं. ऐसे शिक्षकों के न मिलने से अब लगातार मूल्याकंन कार्य में देरी हो रही है.
प्रदेश भर में करीब एक करोड़ 20 लाख से ज्यादा कॉपियों का मूल्यांकन होना है. अब तक 50 लाख कॉपियां चैक हो जानी थी, लेकिन सिर्फ 20 लाख कॉपियों का ही मूल्यांकन हो पाया है. बोर्ड के सचिव का कहना है कि सही तरीके से मूल्यांकन हो इसीलिए नियम निर्धारित किए गए है. गलत मूल्यांकन होने पर शिक्षकों की खोजबीन कर कार्रवाई करना मुश्किल होता है.
कई जिलों में विषय विशेष के शिक्षकों के न मिलने से भी मूल्यांकन कार्य पिछड़ा है. बोर्ड ने अप्रैल के आखिर तक मूल्यांकन कार्य पूरे होने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अब अप्रैल तक मूल्यांकन पूरे होने के आसार नजर नहीं आ रहे है.