भोपाल। भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हार का सिलसिला इस बार टूट जाएगा। टिकट मिलने के बाद से जिस तरह का प्यार और समर्थन वोटरों से मिल रहा है, उससे 1989 से 2009 के बीच भाजपा के हाथों हुईं मुसलसल...सात हारों का सिलसिला टूटने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाकर फतह हासिल करूंगा और जीत का तोहफा राहुल गांधी जी को दूंगा। यह दावा है, भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए पूर्व विधायक और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पीसी शर्मा का। पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने पीसी शर्मा से बातचीत की, पेश हैं, बातचीत के खास अंश:-
आप विधायक बनना चाहते थे, सांसद की कुर्सी के लिए आपको रण में उतारा गया है?
मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और खास तौर पर राहुल गांधी जी का बेहद शुक्रगुजार हूं। उन्होंने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसे टूटने नहीं दूंगा। भोपाल लोकसभा सीट पर पिछले 25 सालों से हार का सिलसिला खत्म करके चैन की सांस लूंगा। टिकट मिलने के बाद से हर ओर से वोटरों का स्नेह मिल रहा है। भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाऊंगा। यह सीट जीतकर राहुल जी को तोहफे के तौर पर पेश करूंगा।
कांग्रेस में भारी गुटबाजी है?
गुटबाजी किस राजनीतिक दल में नहीं है। हमारे यहां भी है। हर क्षत्रप का आशीर्वाद मुझे है। उनके समर्थक मेरे लिए काम में जुटे हैं।
आरिफ अकील नाराज हैं?
विरोधी दल, कतिपय मीडिया और कुछ असंतुष्ट लोग, इस तरह का कुप्रचार कर रहे हैं। मैंने कहा ना हरेक पार्टीजन दिल से मेरे लिए काम कर रहा है।
क्या हैं आपके चुनावी मुद्दे?
भाजपा और उसकी सरकार हर मोर्चे पर विफल है। भोपाल के छह नुमाइंदों जिनमें दो मंत्री रहे ने भोपाल के वोटरों का दस सालों में कितना हित किया, हरेक जानता है। केवल वोट की राजनीतिक करने वाले भाजपा के इन नुमाइंदों का गेम ओवर करने के लिए पार्टी ने मुझे मैदान में उतारा है।भोपाल के वोटर अपने दिलों पर हाथ रख बताएं....जीतने के बाद भाजपा के सांसदों ने उन्हें क्या दिया
भाजपा ने हैट्रिक बनाई है?
जनता मन ही मन पछता रही है, आप पता कर लीजिए।
भोपाल लोकसभा 1989 से कांग्रेस लगातार हार रही है?
जी, हम भाजपा से हार रहे हैं। भोपाल के वोटरों ने 1989, 1991, 1994 और 1998 में सुशील चंद्र वर्मा जी को लोकसभा भेजा, 1999 में उमा भारती जी और 2004 एवं 2009 में कैलाश जोशी को जिताया। सुशील चंद्र वर्मा जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मैं वोटरों से पूछना चाहूंगा कि वे दिल पर हाथ रखकर बताएं भोपाल के मुद्दों पर वर्मा जी, उमा जी और जोशी जी कितनी मर्तबा सड़कों पर उतरे। वोटर गिना दें कि उनके इन नुमाइंदों (सांसदों) ने भोपाल को क्या सौगातें उन्हें दी। सुख तो छोड़िए दु:ख के क्षणों में भी भोपाल के किस भाजपा सांसद को वोटर या जनता ने अपने बीच पाया या नजदीक से देखा हो, पूरी ईमानदारी से भाजपा के समर्थक वोटर ही बता दें, मैं जो कह रहा हूं सच है या नहीं।
पीसी शर्मा.....?
सवाल को बीच में काटते हुए। भोपालवासियों से पूछ लीजिए, भले ही पीसी शर्मा भोपाल दक्षिण का विधायक रहा, मगर पूरे शहर और प्रदेश की उसने चिंता की। टिकट मिला हो या ना मिला हो, पूरे दस बरस मैं सक्रिय रहा। कर्मचारी हो, झुग्गीवासी हो, गरीब हो या मध्यम वर्ग से लेकर उच्च वर्ग का वोटर हो या फिर अल्पसंख्यक वर्ग, सबके सुख और दुख में बिना देर किए पीसी शर्मा पहुंचा। शायद....यही वजह है कि वोटर मुझे उम्मीदवार बनाए जाने से ना केवल खुश है, बल्कि ऐसे लोग बिना स्वार्थ मेरे लिए काम कर रहे हैं जिनसे में यदा-कदा अथवा बहुत कम मिलता रहा हूं।
लालकृष्ण आडवाणी जी भोपाल से लड़ने के इच्छुक थे?
वे आते तो चुनाव दिलचस्प होता। भाजपा ने आलोक संजर को टिकट दिया है। इस बार तो भोपाल में ‘कमल’ नहीं खिलने दूंगा, यह मेरा प्रण है - बाकी ईश्वर की मर्जी। मैं, भोपाल का लाल हूं और मैं मानता हूं वोटर सिर्फ और सिर्फ मेरा साथ देंगे।