भोपाल। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पार्टी ने सुषमा स्वराज के मुकाबले विदिशा से उतारने का निर्णय लिया है लेकिन विदिशा के ही कांग्रेस नेता और मप्र यादव महासभा के अध्यक्ष जगदीश यादव का कहना है कि यह सुषमा स्वराज के साथ डील है।
वे याद दिलाते हैं कि पहले भी दिग्विजय सिंह के समर्थक राजकुमार पटेल को कांग्रेस ने टिकट दिया था और उनका फार्म ही निरस्त हो गया। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि दिग्विजय सिंह को विदिशा से चुनाव में उतारा जाएगा, लेकिन वे राज्यसभा चले गए हैं।
राजगढ़ सीट से दिग्विजय के खास समर्थक नारायणसिंह अमलाबे को ही दोबारा टिकट दिया गया है। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधानसभा के सदस्य चुने गए हैं और लक्ष्मणसिंह के पुत्र राघौगढ़ नगरपालिका के अध्यक्ष हैं।
जगदीश यादव कहते हैं, ‘यह कांग्रेस तो पूरी दिग्विजय कांग्रेस हो गई है। खुद राज्यसभा चले गए, भाई को लोकसभा का टिकट दे दिया, बेटे को विधायक बना दिया, भतीजे को नगरपालिका अध्यक्ष बना दिया। दूसरी जगहों पर भी डमी खड़े कर दिए हैं। दिग्विजय का भाजपा से पैक्ट है।’
विदिशा में दिग्गी पड़ते भारी
मध्य प्रदेश की राजनीति में कभी विद्याचरण शुक्ला के खास समर्थक रहे जगदीश यादव वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के पिता सुभाष यादव के भी करीबी रहे हैं। विदिशा में कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि लक्ष्मण सिंह से बेहतर विकल्प दिग्विजय सिंह हो सकते थे।
दिग्विजय सिंह देशभर में चुनाव प्रबंधन संभालना चाहते हैं इसलिए उनका लोकसभा लड़ना ठीक नहीं था। वहीं लक्ष्मण सिंह के आलोचकों का कहना है कि वह पहले भाजपा में चले गए थे और अब फिर उन्हें विदिशा से टिकट दे दिया गया है। कांग्रेस के भीतर एक गुट मानता है कि लक्ष्मण सिंह विदिशा में सुषमा स्वराज को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
उन्हें जहां सुरेश पचौरी गुट का पूरा समर्थन मिलेगा, वहीं राजकुमार पटेल बुधनी क्षेत्र में उनके लिए किरार पटेलों का अच्छा समर्थन दिला सकते हैं। सिरोंज विधानसभा पहले से ही कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट रही है। विदिशा सीट पर राजपूत मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए लक्ष्मण सिंह सुषमा स्वराज को कड़ी टक्कर दें सकते हैं। यदि सुषमा स्वराज जीतीं भी तो मतों का अंतर कम रहेगा।